ई-टेंडर घोटाला : ईओडब्ल्यू ने आईएएस मनीष रस्तोगी को थमाया नोटिस

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रिमांड पर मौजूद आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया जेल, बैंगलुरू की कंपनी के आधा दर्जन अफसरों को भी नोटिस जारी, एमपीएसईडीसी के ओएसडी ने जमानत के लिए अदालत में लगाई अर्जी

भोपाल। प्रदेश के चर्चित ई-टेंडर घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अफसर मनीष रस्तोगी को नोटिस थमाया है। इधर, रिमांड पर चल रहे चार आरोपियों को ईओडब्ल्यू ने अदालत में पेश किया। जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है।

जानकारी के अनुसार रिमांड पर चल रहे आरोपियों मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रोनिक्स डेव्हल्पमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएसईडीसी) के ओएसडी रहे नंद कुमार ब्रह्मे, विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और वरूण चतुर्वेदी का सोमवार को रिमांड समाप्त हो गया। जिसके बाद चारों आरोपियों को न्यायाधीश संजीव पांडे की अदालत में पेश किया गया। आरोपियों को अदालत ने ६ मई तक न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने के आदेश दिए। इधर, एमपीएसईडीसी के ओएसडी रहे नंद कुमार ब्रह्मे ने जिला अदालत में जमानत के लिए आवेदन लगाया है। जिसकी सुनवाई मंगलवार को होगी।

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तत्कालीन एमडी को नोटिस


ईओडब्ल्यू ने इस मामले में जांच का खुलासा करने वाले आईएएस मनीष रस्तोगी को तलब कर लिया है। रस्तोगी से ईओडब्ल्यू के अफसर पूछताछ करना चाहते हैं। मंगलवार को रस्तोगी के बयान दर्ज किए जा सकते हैं। रस्तोगी फिलहाल राजस्व विभाग में प्रमुख सचिव है और वे एमपीएसईडीसी के तत्कालीन एमडी है। एमडी रहते हुए ही उन्होंने गड़बड़ी पकड़ी थी और ई-टेंडर पर ईओडब्ल्यू से जांच करने के लिए उन्होंने राय दी थी। तकनीकी बिंदुओं की जानकारी रस्तोगी को है जिसके बाद कुछ नए चेहरों का ईओडब्ल्यू खुलासा कर सकती है।

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एंट्रेस कंपनी को नोटिस
सरकार ने ई-प्रोक्योरमेंट को लेकर एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी आईएएस हरिरंजन राव की निगरानी में काम कर रही थी। कमेटी में विशाल बांगड़, विपिन गुप्ता और नंद कुमार ब्रह्मे थे। कमेटी 2012 में बनी थी। कमेटी के सदस्यों ने केवल कर्नाटक राज्य का दौरा किया। उसकी भी रिपोर्ट उन्होंने सबमिट नहीं की थी। इस विषय पर रस्तोगी से पूछताछ हो सकती है। इधर, ईओडब्ल्यू ने बैंगलुरू की एंट्रेस कंपनी के छह अफसरों को भी बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस थमा दिया है। इससे पहले ऑफिस में जाकर ईओडब्ल्यू ने कंप्यूटर, लैपटॉप का डाटा रिट्रीव किया था।

क्या है मामला
ईओडब्ल्यू ने 10 अप्रैल, 2019 को ई-टेंडरिंग घोटाले के मामले में प्रकरण दर्ज किया था। इसमें जांच के लिए प्राथमिकी जून, 2018 में दर्ज हुई थी। जांच कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम नई दिल्ली से कराई गई। जल निगम के तीन टेंडर, लोक निर्माण विभाग के दो टेंडर, सडक़ विकास निगम के एक टेंडर, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक टेंडर ऐसे करके कुल नौ ई-टेंडरों में गड़बड़ी करना पाया गया था।

कौन है आरोपी
इस मामले में हैदराबाद की कंपनी मैसर्स जीवीपीआर लिमिटेड, मैसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंपनियां दी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मैसर्स जेएमसी लिमिटेड, बड़ौदा की कंपनी सोरठिया बेलजी प्रायवेट लिमिटेड, मैसर्स माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्टक्शन कंपनी मैसर्स रामकुमार नरवानी लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। अधिकांश कंपनियों के पते पर आधा दर्जन से अधिक कंपनियां भी चल रही है। इसके अलावा साफ्टवेयर बनाने वाली ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्रायवेट लिमिटेड, एमपी एसईडीसी, एन्टेस प्रायवेट लिमिटेड और बैगलोर की टीसीएस कंपनी को भी आरोपी बनाया गया है।

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अब तक क्या
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में सबसे पहले 11 अप्रैल, 2019 को भोपाल के मानसरोवर में दबिश दी। यहां से तीन आरोपियों विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और वरूण चतुर्वेदी को हिरासत में लिया। तीनों आरोपियों को 12 अप्रैल को अदालत में पेश करके 15 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया। इसी बीच 14 अप्रैल को नंदकुमार को गिरफ्तार किया गया। जिसे ओस्मो कंपनी के तीनों आरोपियों के साथ 15 अप्रैल को जिला अदालत में न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडे की अदालत में पेश किया गया। यहां से आरोपियों से अनुसंधान से जुड़ी जानकारियों के संबंध में पूछताछ करने के लिए 18 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया। यह रिमांड खत्म होने के बाद ईओडब्ल्यू ने संजीव पांडे की अदालत में आरोपियों को पेश किया। यहां से पहले गिरफ्तार तीन आरोपियों को तीसरी बार पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया। इसी तरह नंद कुमार को दूसरी बार पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया। चारों आरोपियों की रिमांड 22 अप्रैल को समाप्त हो गई। जिसके बाद उन्हें 6 मई तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।

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