विधायक राजेश शुक्ला समाजवादी पार्टी से निष्कासित

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जानिए क्यों लागू नहीं होगा दल-बदल कानून

MLA Rajesh Shukla
राजेश शुक्ला, विधायक

भोपाल। राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान करने वाले विधायक राजेश शुक्ला (MLA Rajesh Shukla) को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने निष्कासित कर दिया है। कमलनाथ सरकार (Kamalnath Govt) में कांग्रेस का समर्थन करने वाले राजेश शुक्ला ने सरकार बदलते ही पाला बदल लिया था। राज्यसभा चुनाव का परिणाम आते हुए उन पर समाजवादी पार्टी ने कार्रवाई की है। समाजवादी पार्टी के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से राजेश शुक्ला के निष्कासन की सूचना दी गई।

ट्वीट- मध्य प्रदेश के बिजावर से सपा विधायक राजेश शुक्ला को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते पार्टी से निष्कासित किया जाता है।

क्षेत्र के विकास के लिए थामा भाजपा का दामन

राज्यसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को वोट करने पहुंचे राजेश शुक्ला ने मीडिया को बताया कि क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने भाजपा का दामन थामा है। छतरपुर जिले की बिजावर सीट से विधायक शुक्ला का कहना था कि उनका क्षेत्र पिछड़ा हुआ है। लिहाजा वो सरकार के साथ ही रहना चाहते है। कमलनाथ सरकार का भी पूरी निष्ठा के साथ साथ दिया था। लेकिन कांग्रेस की वजह से ही सरकार गिर गई। इसलिए अब वो भाजपा के साथ है।

अब ये होगा

विधायक राजेश शुक्ला को समाजवादी पार्टी ने निष्कासित किया है। लिहाजा उन पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा। दल-बदल कानून के तहत यदि कोई विधायक या सांसद खुद पार्टी से इस्तीफा देता है, तब ही उसकी सदस्यता पर संकट आता है। लेकिन शुक्ला के मामले में पार्टी ने उन्हें निष्कासित किया है। लिहाजा अब वे स्वतंत्र विधायक के तौर विधानसभा के सदस्य होंगे। जानकारी के मुताबिक पार्टी ने राज्यसभा चुनाव से पहले कोई व्हिप भी जारी नहीं किया था।

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पार्टी हाईकमान का निर्णय

एक तरफ समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का विरोध करती है। दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में सपा का इकलौते विधायक राजेश शुक्ला लगातार भाजपा के संपर्क में थें। इसके बावजूद राज्यसभा चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश समाजवादी पार्टी की तरफ से कोई व्हिप जारी नहीं किया गया। लिहाजा राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सपा की इस कार्रवाई से राजेश शुक्ला फायदे में ही है। पार्टी व्हिप जारी करती तो उनकी विधायकी संकट में आती। सपा नेता और प्रवक्ता यश भारतीय का कहना है कि ये निर्णय हाईकमान का है।

ये है दल-बदल कानून

किसी विधायक का किसी दल के टिकट पर निर्वाचित होकर उसे छोड़ देना और अन्य किसी दल में शामिल हो जाना।

मौलिक सिध्दान्तों पर विधायकका अपनी पार्टी की नीति के विरुध्द योगदान करना।

किसी दल को छोड़ने के बाद विधायक का निर्दलीय रहना।

परन्तु पार्टी से निष्कासित किए जाने पर यह नियम लागू नहीं होगा

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