Fake Investigation Officer: नाम के साथ तकनीक का इस्तेमाल करके जालसाजी

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Fake Investigation Officer: ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त संगठन का अफसर बताकर सरकारी कर्मचारियों से रंगदारी टैक्स लेने वाला शातिर जालसाज गिरफ्तार

Fake Investigation Officer
पन्ना निवासी रघुराज गर्ग जो अपना खाता कमीशन पर जालसाज पिता—पुत्र को मुहैया कराता था। तस्वीर पुलिस सूत्रों के जरिए प्राप्त हुई है।

भोपाल। चार्ल्स शोभराज पर केंद्रीत फिल्म एक जमाने में दर्शकों के बीच कौतूहल का विषय होती थी। जिसके बाद कई दूसरी फिल्में जैसे बंटी और बबली और स्पेशल 26 भी बनी। यह सभी फिल्में ठगी के तरीकों पर बनी है। बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं को लिए एक ओर रोचक पात्र (Fake Investigation Officer) मिल गया है। जिसका नाम हैं संजय मिश्रा। मूलत: रीवा का रहने वाला जालसाज संजय मिश्रा मध्यप्रदेश की जांच एजेंसियों ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त पुलिस संगठन के नाम का इस्तेमाल करता है। उसके निशाने पर केवल सरकारी विभागों के कर्मचारी ही होते थे। पुलिस ने मुख्य आरोपी समेत तीन व्यक्तियों को हिरासत में लिया है। इस काम में उसका साथ देने वाला बेटा भी सीखचों के पीछे चला गया हैं।

ऐसे दबोचा गया शातिर ठग

आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (MP EOW News) की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार शातिर जालसाज के निशाने पर पंचायत, सहकारिता, राजस्व, जल संसाधन, खनिज और एमपीईबी विभाग के अफसर होते थे। इन विभागों में कई तरह की योजनाएं होती है। योजनाओं से जुड़े अफसरों की जानकारी जुटाकर शातिर जालसाज संजय मिश्रा पिता रामलोचन मिश्रा ब्लैकमेल करता था। मूलत: रीवा के तिलक नगर निवासी संजय मिश्रा (Sanjay Mishra) की करतूतें रीवा स्थित ईओडब्ल्यू के अफसरों को पता चल गई थी। इस कारण उसके खिलाफ 22 जुलाई, 2021 को प्राथमिकी दर्ज कर ली गई थी। यह भनक लगते ही संजय मिश्रा रीवा (Rewa News) से भाग गया था। जिसकी गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपए का इनाम भी था। संजय मिश्रा को भोपाल के कमला नगर थाना क्षेत्र स्थित कोटरा सुल्तानाबाद इलाके से दबोचा गया। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से चार मोबाइल सिम भी बरामद की है।

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इन विभागों के अफसरों ने दी रकम

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मुख्य आरोपी संजय मिश्रा के काले कारनामों में साथ देने वाला उसका बेटा आष्कृत मिश्रा। तस्वीर पुलिस सूत्रों के जरिए प्राप्त हुई है।

आर्थिक प्रकोष्ठ विंग ने बताया कि संजय मिश्रा का साथ उसका बेटा आष्कृत मिश्रा (Aashkrit Mishra) भी देता था। वह भी भोपाल में पिता के साथ किराए के मकान में रह रहा था। आरोपी पिता—पुत्र ने धमकाकर पैसा एक खाते में जमा कराने के लिए तीसरे आरोपी रघुराजा गर्ग (Raghuraja Garg) को मना लिया था। वह उसके खाते में रकम जमा करने के बदले में 10 फीसदी कमीशन देता था। रघुराजा गर्ग मूलत: पन्ना (Panna) का रहने वाला है। पुलिस को प्राथमिक जांच में चार महीने के भीतर 10 लाख रुपए जमा करने से संबंधित जानकारी हासिल हुई है। जिन्होंने यह रकम जमा कराई है उनके संबंध में ईओडब्ल्यू जानकारी जुटा रहा है। जिन्होंने रकम जमा कराई उनमें रीवा स्थित जल संसाधन विभाग के जयकिशन द्विवेदी (Jaikishan Diwedi), सतना स्थित रेंजर रामनरेश साकेत (Ramnaresh Saket), सागर में जल संसाधन विभाग के उपयंत्री कालीचरण दुबे (Kalicharan Dubey) का नाम सामने आया है। इन सभी ने एक लाख रुपए से 10 हजार रुपए की रकम जमा कराई है।

ऐसे करते थे वारदात

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मुख्य आरोपी संजय मिश्रा जो पहले भी नकली जांच अधिकारी बनकर सरकारी कर्मचारियों से रंगदारी वसूल चुका है। तस्वीर पुलिस सूत्रों के जरिए प्राप्त हुई है।

संजय मिश्रा काफी चालक है। वह 2019 में लोकायुक्त अफसर बनकर सरकारी कर्मचारियों से रंगदारी दिखाने के मामले में में गिरफ्तार हो चुका है। इस संबंध में रीवा स्थि​त सिविल लाइन थाने में भी मुकदमा दर्ज हुआ था। इसी प्रकरण में संजय मिश्रा जमानत मिलने के बाद फरार भी चल रहा था। आरोपी ईओडब्ल्यू इंस्पेक्टर डीपी मिश्रा बनकर सरकारी कर्मचारियों को धमकाता था। पैसा नहीं देने पर सूचना देकर छापा मारने को बोलता था। ऐसा करने के लिए संजय मिश्रा बकायदा अपने मोबाइल नंबर को डीपी मिश्रा के नाम से सेव करता था। ताकि ट्रू कॉलर के जरिए उसका नाम अफसरों को दिखाई दे। संजय मिश्रा की गिरफ्तारी पर बकायदा 10 हजार रुपए का इनाम भी घोषित था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उसके खिलाफ कई पीड़ित अभी सामने आना बाकी है। जांच एजेंसियों के नाम पर भय दिखाकर भोपाल में वारदात (Fake Investigation Officer)करने का अपनी तरह का यह पहला मामला है। जिसके बाद एजेंसियों को और अधिक सतर्क रहने के लिए किए जाने वाले कार्यों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।

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