MP Honey Trap Case : इन राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की बनी सीडी, श्वेता के दीवाने थे ये अफसर

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शराब माफिया के सहारे बड़े नेता तक पहुंची थी श्वेता, उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा

दाए एवं बाए में श्वेता जैन और बीच में बरखा सोनी

भोपाल। मध्यप्रदेश हनीट्रेप मामले (MP Honey Trap Case) में चौतरफा हड़कंप मचा है। हर शख्स जानना चाहता है कि आखिर कौन-कौन ट्रेप हुआ और किस-किस की सीडी बनी। दरअसल इस मामले में दर्जन भर से ज्यादा रसूखदारों के नाम उजागर होने की आशंका जताई जा रहीं है। लिहाजा मामला सनसनीखेज बना हुआ है। राष्ट्रीय पार्टियों के बड़े-बड़े नेताओं से लेकर आईएएस-आईपीएस अफसर भी इस शहद (Honey Trap) के शिकार बने। नेताओं और अधिकारियों को आरोपी महिलाओं से इतना प्रेम था कि उनके कहने पर चुटकियों में बड़े-बड़े काम कर देते थे।

हनी ट्रेप (Honey Trap) के मामले में द क्राइम इन्फो डॉट कॉम (www.thecrimeinfo.com) ने तह तक तहकीकात की है।  रंगरैलियां मनाने वाले सफेदपोशों, रंगीन मिजाज अफसरों और आरोपी महिलाओं के बारे में पुख्ता जानकारी एकत्रित की है। जिसका खुलासा हम इस खबर में कर रहे है।

आरोपी नंबर वनः श्वेता जैन (सागर)

सागर की रहने वाली श्वेता जैन (Shweta Jain) एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुई थी। उसके पिता कपड़े की दुकान चलाते थे। दो भाई, तीन बहनों में श्वेता मंझली है। लेकिन जवानी की चौखट पर कदम रखते ही श्वेता लड़खड़ा गई। सागर के प्रमुख शराब माफिया के बेटे के साथ श्वेता के अवैध संबंध बन गए। शराब माफिया ने श्वेता (Shweta Jain) को सिविल लाइन इलाके में घर दिला दिया था। उसी के साथ वो करीब ढ़ाई साल रही।

श्वेता जैन (सागर वाली)

ऐसे हुई नेता नगरी में एंट्री

इसी दौरान शराब माफिया के जरिए श्वेता की पहचान राष्ट्रीय दल के बड़े नेता और मध्यप्रदेश सरकार के तत्कालीन मंत्री से हो गई। शराब माफिया ने अपना काम कराने के लिए श्वेता को मंत्री जी के पास भेजा था। लेकिन दांव उल्टा पड़ गया। मंत्री जी ने काम तो कर दिया लेकिन वो श्वेता को दिल दे बैठे। अब श्वेता मंत्री जी की खास हो गई थी। लिहाजा उसने शराब माफिया से दूरी बना ली। मंत्री जी का दिल खुश करने के बदले उसके एनजीओ को कई बड़े-बड़े काम दिए गए। यहां से श्वेता ने बड़ी रकम कमाई। इस दौरान उसकी कई अधिकारियों से पहचान हो गई।

अधिकारियों को ऐसे बनाया शिकार

अचानक रईस हुई श्वेता का लालच दिन-ब-दिन बढ़ता ही गया। उसने देखा कि मंत्री के कहने पर आईएएस अधिकारी बड़ी से बड़ी राशि रिलीज कर देते है। वो समझ गई कि असली पॉवर अफसरों के पास है। लिहाजा उसका अगला शिकार आईएएस अफसर बन गए। उसने अधिकारियों को हुस्न के जाल में फंसाना शुरु कर दिया। कईयों की सीडी बनाई और उसके बदले में बड़ी रकम ऐंठी।

श्वेता के जाल में फंसते अधिकारियों की खबर मंत्री जी को भी थी। अब वो श्वेता को समझ चुके थे। लिहाजा उन्होंने उससे दूरी बना ली। अब तक श्वेता मंत्री जी की ही पार्टी की महिला विंग की पदाधिकारी बन चुकी थी। उसके टारगेट पर अब दूसरे नेता थे।

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अध्यक्ष जी की खास बन गई श्वेता

अब एंट्री होती है श्वेता की जिंदगी में दूसरे बड़े नेता की। श्वेता से मिलते ही राष्ट्रीय पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष उसके शहद को चखने के लिए बैचेन हो गए। श्वेता ने उन्हें भी अपने जाल में फंसा लिया और उनके सहारे कई काम कराए। उस दौरान अध्यक्ष जी बंद कमरे में कई घंटों श्वेता के साथ बिताते थे। जो दूसरे दिन अखबारों में गॉसिप के तौर पर छपा करते थे।

आत्महत्या करना चाहते थे पूर्व सांसद

गिरोह की सदस्य बरखा सोनी

श्वेता जिसके साथ भी रंग-रैलियां मनाती थी, उसकी सीड़ी बना लेती थी। ताकि जब सीधी ऊंगली से घी न निकले तो टेढ़ी भी की जा सके। अध्यक्ष जी के साथ तो श्वेता के किस्से बाजार में घूम रहे थे। लेकिन इसी दौरान राष्ट्रीय पार्टी के एक सीधे-साधे नेता का दिल भी श्वेता पर आ गया। साफ-सुथरी छवि रखने वाले पूर्व सांसद भी श्वेता के मोहजाल में फंस गए।

श्वेता ने पूर्व सांसद को भी नहीं छोड़ा, उसने वहीं किया जो हमेशा से करती थी। उसके साथ भी सीडी बना ली और ब्लैकमेल करना शुरु कर दिया। कच्चे दिल के सांसद जी ने तो सुसाइड करने तक की कोशिश की। लेकिन बाद में मामला प्लॉट और घर दिलाने पर सेटल हो गया।

टूट गया विधायकी का ख्बाब

हमाम में नंगे हुए राष्ट्रीय पार्टी के नेताओं के साथ रहते-रहते श्वेता को राजनीति का भूत चढ़ गया। उसने भी सोचा कि वो भी माननीय बन सकती है। लिहाजा उसने सागर से विधायकी के टिकट पर दांवा ठोक दिया। लेकिन जिस सीट से श्वेता टिकट मांग रही थी, वहां से एक दूसरे मंत्री जी विधायक थे। मंत्री जी को ये बात खटक गई।

श्वेता पर लट्टू हुए राष्ट्रीय नेताओं की वजह से मंत्री को अपनी सीट खतरे में पड़ती नजर आ रहीं थी। लिहाजा उन्होंने भी श्वेता को पटखनी देने के लिए उसी का तरीका अपनाया। श्वेता और उसके ड्राइवर का अश्लील वीडियो बनवा दिया। ये वीडियो कार में बनाया गया था और उस वक्त 1200 पेन ड्राइव के जरिए मीडिया को बांटा गया था। वीडियो सामने आऩे के बाद श्वेता का टिकट कट गया।

श्वेता जैन -2

श्वेता जैन-2

हनी ट्रेप कांड की दूसरी आरोपी का भी नाम श्वेता जैन है। लिहाजा उसे श्वेता जैन-2 लिखा गया है। मूलत: राजस्थान की रहने वाली श्वेता जैन की दोस्ती वर्तमान केंद्रीय मंत्री के बेटे से हो गई थी। मंत्री जी का शराबी बेटा श्वेता के जाल में फंस गया। रंग-रैलियां मनाते हुए श्वेता ने ही वीडियो बना लिया। जिसके बाद वो उसे ब्लैकमेल करने लगी। मामला मंत्री जी के पास पहुंचा तो उन्होंने बड़ी रकम देकर सेटल किया। जिसके बाद श्वेता को भी पार्टी की महिला विंग में पदाधिकारी बना दिया गया, उसे नेता बनाने का वादा भी किया गया।

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महिला विंग में आई राजस्थान की श्वेता की दोस्ती अब सागर वाली श्वेता से हो गई। दोनों का काम हनी ट्रेप करने का था, लिहाजा अब वो मिलकर इस गोरखधंधे को बढ़ाने लगी। पूर्व सांसद को ब्लैकमेल करने में राजस्थान वाली श्वेता का भी हाथ है। इसके बदले में उसे मिसरोद में करोड़ों की कीमत का प्लॉट मिला था।

बड़ी रकम कमा चुकी दोनों श्वेता ने अब गिरोह बना लिया। इस गिरोह में उन्हें मिलाकर 5 युवतियां थी। जिनका काम नेताओं और अफसरों का हनीट्रेप करना था।

बरखा सोनी

भोपाल के कमला नगर इलाके के आराधना नगर में रहने वाली बरखा सोनी (Barkha Soni) भी श्वेता गैंग की सदस्य है। श्वेता (सागर) जिन लोगों को हनीट्रेप में फंसा लेती थी। उनसे वसूली का काम बरखा सोनी करती थी। बरखा सोनी का पति एक राष्ट्रीय पार्टी की आईटी सेल का पदाधिकारी था। मामला सामने आने के एक महीने पहले ही उसे हटा दिया गया था।

पुरानी पार्टी के मंत्री पर हाथ डालना पड़ गया भारी

हुस्न के इसी जलवे के दीवाने थे नेता

श्वेता (सागर) ने हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार के पॉवरफुल मंत्री को अपने जाल में फंसा लिया। रंग-रैलिया मनाते हुए सीडी भी बना ली। श्वेता ने मंत्री जी से वसूली का काम बरखा सोनी को सौंपा था। लेकिन जैसे ही बरखा ने मंत्री जी पर अड़ी डाली पूरी गैंग का गेमसेट हो गया। शहद चखने के चक्कर में सीडी बनवा चुके मंत्री जी ने अपनी ही बिरादरी के आईएएस-आईपीएस के साथ मिलकर प्लान तैयार किया और गिरोह का भंडाफोड़ करवा दिया।

रिमांड के लिए दलील भी पेश नहीं कर पाई पुलिस

बुधवार रात गिरफ्तार किए गए गिरोह के सदस्यों को शुक्रवार को कोर्ट में हाजिर किया गया। पुलिस ने कोर्ट से रिमांड मांगी। लेकिन कोर्ट ने सभी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।  अब सवाल ये उठता है कि इतने बड़े मामले में पुलिस रिमांड लेने में असफल कैसे हो गई। कोर्ट में पुलिस कोई पुख्ता दलील नहीं दे सकी लिहाजा उसे रिमांड देने से इनकार कर दिया गया। तो पुलिस आरोपियों से बरामद क्या करना चाहती थी ? जो उसे मिल गया और वो चुप हो गई। शनिवार को पढ़िए हनीट्रेप मामले का एक और सनसनीखेज खुलासा।

(नोटः प्रिय पाठकों पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए, उक्त खबर में नेताओं और अधिकारियों के नाम उजागर नहीं किए गए है। आधिकारिक पुष्टि न होने की वजह से नाम का जिक्र नहीं किया गया है। )

 

 

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