MP Police Commissioner System: सीएम ने जो बोला वह गजट में कहीं नहीं दिखा!

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MP Police Commissioner System: भांजा—भांजियों की चिंता करने वाले मुख्यमंत्री से आखिर ऐसे कैसे हो सकती है भूल, आईपीएस लॉबी के कई अफसरों को मैदान में सेवा का मिलेगा मौका

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पुलिस मुख्यालय में घोषणा के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को गुलदस्ता भेंट करते हुए गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, साथ में हैं डीजीपी विवेक जौहरी और एसीएस होम राजेश राजौर। गृहमंत्री निवास से जारी चित्र।

भोपाल। मध्यप्रदेश (MP Police Commissioner System) के नागरिकों के लिए जनरल नॉलेज वाला दिन रहा गुरुवार, इस दिन सरकार ने प्रदेश के दो शहरों भोपाल—इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इस घोषणा से आईपीएस लॉबी के कई अफसरों को मैदान में सेवा करने के अधिक अवसर मिल जाएंगे। जबकि पूरी प्रणाली लागू करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो तर्क दिए थे वह दूर—दूर तक गजट नोटिफिकेशन में दिखाई नहीं दिए। इन दोनों शहरों के लिए बनी पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पॉक्सो अधिनियम, महिला सुरक्षा को लेकर कोई ठोस विंग दिखाई नहीं दिया। वहीं सायबर क्राइम भी बहुत जगह दिखाई ही नहीं दिया। जबकि प्रदेश के अधिकांश नागरिक इन तीनों समस्याओं से जूझ रहे है।

अफसरों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर चुनौती

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) का चेहरा मामा के रुप में जाना जाता है। भांजियों की सुरक्षा को लेकर कई मौकों पर वे कई लोकप्रिय योजनाओं का ऐलान कर चुके हैं। इसी तरह जनजातीय समाज के लिए भी मुख्यमंत्री कई मौकों पर अपनी राय जनता के सामने जाहिर कर चुके हैं। भोपाल—इंदौर शहर में लागू कमिश्नर प्रणाली में इन दोनों ही बातों को नजरअंदाज किया गया है। यह हम यूं ही नहीं कह रहे। प्रदेश सरकार की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन से यह उजागर हो रहा है। इस सिस्टम से यह साफ हो गया है कि भोपाल में डीआईजी प्रणाली में जितने आईपीएस अफसर थे उसके मुकाबले अब दुगुनी संख्या अफसरों की कर दी गई है। हालांकि इसमें कमिश्नर प्रणाली की घोषणा के बाद सुधार की गुंजाईश अभी बाकी है। इतनी संख्या में बनने वाले अफसरों के इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियां अब सरकार के सामने आने वाली है।

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आईजी होगा पुलिस कमिश्नर

गजट नोटिफिकेशन के अनुसार पुलिस कमिश्नर सिस्टम (MP Police Commissioner System) के लिए चयनित भोपाल—इंदौर शहरों में कुल 24 आईपीएस अफसर तैनात किए जाएंगे। मतलब प्रत्येक जिले में 12 अफसर होंगे। डीआईजी प्रणाली में यह संख्या पहले नार्थ, साउथ, मुख्यालय मिलाकर चार होती थी। अब ताजा अधिसूचना के अनुसार चार जोन में एसपी स्तर के अधिकारी तैनात होंगे। इसके अलावा ट्रैफिक, क्राइम, मुख्यालय और इंटेलीजेंस और सिक्योरिटी का एक—एक एसपी मंजूर किया गया है। मतल​ब यह संख्या आठ होगी। इसके अलावा दो—दो डीआईजी स्तर के अफसर अतिरिक्त पुलिस आयुक्त होंगे। एक अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के पास कानून—व्यवस्था तो दूसरे के पास क्राइम और मुख्यालय की जिम्मेदारी होगी। इन सबका मुखिया पुलिस आयुक्त या कहे पुलिस कमिश्नर होगा। यह अधिकारी आईजी स्तर का तैनात होगा। गजट नोटिफिकेशन के साथ—साथ भोपाल को दो हिस्सों में बांटा गया है।

सायबर क्राइम पुलिस उपायुक्त की कमी खली

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाईन टीसीआई।

गजट नोटिफिकेशन में जोन को चार भागों में बांटा गया है। क्राइम को पूरी तरह से अलग किया गया है। लेकिन, उसके नीचे बने विंग में महिला अपराध, पॉक्सो अधिनियम, दलित अत्याचार निवारण अधिनियम समेत अन्य गंभीर और संवेदनशील मुद्दों के लिए अफसरों की तैनाती नहीं दिखाई दी। जबकि बालकों के हित संरक्षण के लिए एमपी पहला राज्य था जहां 12 साल से कम आयु के बच्चों के साथ घृणित अपराध पर फांसी का प्रावधान लागू किया गया था। वहीं महिला हिंसा और अपराधों को लेकर एमपी का नाम हमेशा चर्चा में रहता है। इसके बावजूद एक सहायक पुलिस आयुक्त के पास अजाक और महिला की जिम्मेदारी रहेगी। यह जिम्मेदारी डीएसपी स्तर का अफसर देखेगा। इसको पुलिस कमिश्नर प्रणाली में सहायक पुलिस आयुक्त अंग्रेजी में असिस्टेंट सीपी पुकारा जाएगा।

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शहर और देहात अलग—अलग

पुलिस कमिश्नर प्रणाली (MP Police Commissioner System) में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में भोपाल—इंदौर को बांटा गया है। भोपाल के शहर में 38 थाने होंगे। जबकि देहात भोपाल क्षेत्र में 7 थाने रहेंगे। देहात के थानों में बैरसिया, गुनगा, नजीराबाद, ईटखेड़ी, परवलिया सड़क, सुखी सेवनिया और बिलखिरिया के थाने रहेंगे। भोपाल देहात क्षेत्र का एसपी अलग रहेगा। वह भोपाल देहात डीआईजी को रिपोर्ट करेगा। भोपाल देहात डीआईजी के पास राजगढ़, सीहोर और विदिशा जिलों की भी जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा भोपाल देहात का भी आईजी अलग होगा। इसकेे लिए सरकार ने भोपाल—इंदौर को मेट्रोपोलिटिन शहर घोषित किया है। इसमें इंदौर की आबादी करीब 22 लाख दर्शाई गई है। उसी तरह भोपाल की आबादी करीब 19 लाख दर्शाई है। इसके साथ ही सरकार ने पुलिस कमिश्नर को धारा 58, 106 से 124, 129 से 132 और धारा 144 तथा 144 क के अधिकार दिए हैं।

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