Cavalry team: सिर्फ पुलिस के लिए “ग्लैंडर” बीमारी का आतंक

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भोपाल में खुलेआम घोड़ों का किया जा रहा व्यवसायिक उपयोग, प्रशासन ने तीन बार के पत्राचार पर कोई नहीं दिया जवाब

भोपाल के गोविंदपुरा में स्थित एक धार्मिक आयोजन में प्रदर्शन के लिए किराया पर लिया गया घोड़ा

भोपाल। घोड़ों में होने वाली गंभीर बीमारी ग्लैंडर (Glanders Disease) का आतंक सिर्फ पुलिस (Madhya Pradesh Police) के लिए भर रह गया है। जबकि शहर में खुलेआम घोड़ों का निजी इस्तेमाल किया जा रहा है। शहर के सभी पर्यटक स्थल, शादी और धार्मिक आयोजनों में घोड़ों का खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि घोड़ों के प्रदर्शन और उसके व्यवसायिक इस्तेमाल पर करीब दो साल से प्रतिबंध हैं। इस मामले को लेकर एक बार फिर पुलिस और प्रशासन आमने—सामने हैं। दरअसल, गणतंत्र दिवस समारोह (Republican Day Ceremony) में अश्वारोही दल (Police Cavalry team) होता है जो इस प्रतिबंध (Cavalry team Baned) के चलते इस साल भी भाग नहीं ले पाएगा। क्योंकि प्रशासन ने पुलिस के पत्राचार पर कोई जवाब नहीं दिया हैं।

जानकारी के अनुसार भोपाल के तत्कालीन कलेक्टर निशांत बरबड़े (IAS Nishant Barbade) ने घोड़ों के व्यवसायिक इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था। यह प्रतिबंध घोड़ों में पाई जाने वाली ग्लैंडर बीमारी के चलते लगाया गया था। इस बीमारी को सबसे पहले भोपाल नगर निगम ने चिन्हित करके प्रशासन को रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट के बाद जून, 2018 में घोड़ों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस आदेश की वजह से सातवीं बटालियन में रखे गए घोड़ों को हटाकर भौंरी पुलिस अकादमी भेज दिया गया था। तब से लेकर अब तक यह प्रतिबंध बरकरार है। इस दौरान बीमारी से ग्रसित आधा दर्जन से अधिक घोड़ों को मारकर दफनाया गया। इस बीमारी की रोकथाम उसके निदान को लेकर प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली। नतीजतन, कोई नया आदेश जारी नहीं हो सका है। इसके चलते भोपाल के स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और शहीद दिवस पर आयोजित परेड में पुलिस के अश्वारोही दल भाग नहीं ले सके। इस साल भी प्रशासन के रवैये को देखते हुए आसार नहीं लग रहे कि अश्वारोही दल भाग नहीं ले सकेगा।

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पांच महीने में तीन बार पत्राचार
मध्यप्रदेश पुलिस की सातवीं बटालियन (MP Police 7th Battalion) के पास अश्वारोही दल (Cavalry team) है। इस बटालियन के पास करीब दो दर्जन से अधिक घोड़े हैं जिनका इस्तेमाल कानूनी कार्रवाई के अलावा परेड में किया जाता है। खबर है कि सातवीं बटालियन की तरफ से अपने यहां तैनात घोड़ों का कोकन टेस्ट कराया जा चुका है। यह टेस्ट तीन बार हो चुके हैं। जिसमें यह साबित हुआ है कि घोड़े स्वस्थ्य है। इस रिपोर्ट के आधार पर बटालियन की तरफ से जिला प्रशासन को तीन बार पत्राचार किया गया है। आखिरी बार पत्राचार दिसंबर, 2019 में किया गया था। इस मामले में सातवीं बटालियन के कमांडेंट संतोष सिंह गौर (IPS Santosh Singh Gour) ने बताया कि हमारी तरफ से पत्राचार किया जा रहा है। प्रशासन की तरफ से उत्तर का अभी इंतजार है।

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