Bhopal Cyber Fraud: डॉक्टर से अपाइंटमेंट के लिए लिंक पर क्लिक करते ही खाता खाली

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Bhopal Cyber Fraud: सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस यूनिट के डीसीपी कार्यालय में तैनात कांस्टेबल की बहन की शिकायत पर चार महीने बाद थाने में दर्ज हुआ मुकदमा, सीएम हेल्प लाइन से लेकर कई अन्य जगहों पर हुई शिकायत के बाद जीरो पर दर्ज किया गया प्रकरण

Bhopal Cyber Fraud
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना कई बार मैदानी अफसरों से बोल चुके हैंं कि स्टाफ की सुनवाई में देरी न हो। उनकी बात को मैदानी अफसर कितनी गंभीरता से लेते हैं यह उसका जीता जागता प्रमाण है। इस घटना से आम आदमियों के साथ होने वाली पीड़ा भी उजागर होती है। घटना भोपाल (Bhopal Cyber Fraud) शहर के कमला नगर थाना क्षेत्र की है। वारदात सायबर फ्रॉड से जुड़ी है। जिसकी शिकायत तुरंत भोपाल के सायबर हेल्प लाइन में दर्ज करा दी गई थी। लेकिन, सायबर क्राइम को ही जीरो पर कायमी करने में तीन महीने लग गए। प्रकरण में आरोपियों की धरपकड़ के प्रयास तो दूर की बात है। यह हाल उस राजधानी का है जहां मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, डीजीपी से लेकर नीति—नियम बनाकर निगरानी करने वाले तमाम अफसर बैठे होते हैं।

अफसरों को सबकुछ था पता फिर भी आंखे मूंदे रहे

कमला नगर (Kamla Nagar) थाना पुलिस के अनुसार सायबर क्राइम में 21 जून को जीरो पर दर्ज केस डायरी 10 जुलाई को थाने में आई थी। जिसके आधार पर 397/23 धारा 420 (जालसाजी का मामला) दर्ज किया गया है। सायबर क्राइम में जीरो पर मामला एसआई पारस सोनी (SI Paras Soni) ने दर्ज किया था। सायबर फ्रॉड की यह घटना 3 मार्च को हुई थी। जिसके बाद तुरंत सायबर हेल्प लाइन नंबर पर घटना की भी जानकारी दी थी। पुलिस के पास फिलहाल एक मोबाइल नंबर और एक व्हाट्स एप का नंबर है। पीड़िता 34 वर्षीय रीना रघुवंशी (Reena Raghuvanshi) हैं। उसने पुलिस को बताया कि घटना वाले दिन वह मोबाइल में डॉक्टर हर्ष के अस्पताल का नंबर सर्च कर रही थी। कॉल करने पर एक व्यक्ति ने फोन उठाया। फिर उससे कहा गया कि वह भेजी गई लिंक के फॉर्म को भरे। इसके बाद पांच रूपए की रकम जमा कराई गई। ऐसा करने के बाद उसके पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank) के खाते से तीन किस्त में एक लाख रूपए निकल गए। उसी खाते में 30 हजार रूपए रखे थे जो रीना रघुवंशी ने निकाल लिए। पीड़िता का भाई मनीष रघुवंशी (Manish Raghuvanshi) कांस्टेबल है जो डीसीपी विजय भागवानी (DCP Vijay Bhagwani) के कार्यालय में तैनात हैं। इसके बावजूद प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाला गया। यह मामला तब दर्ज किया गया जब रीना रघुवंशी ने एफआईआर नहीं होने पर सीएम हेल्प लाइन में इसकी शिकायत दर्ज कराई।

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