Land Compensation Scam: दो करोड़ रूपए का मुआवजा हड़पा

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Land Compensation Scam: ईओडब्ल्यू की जांच में जमीन का पूर्व मालिक निकला दोषी, जालसाजी का मुकदमा हुआ दर्ज, जांच के घेरे में आए भुगतान करने वाले अफसर

Land Compensation Scam
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। नेशनल हाईवे बनाने के लिए अधिगृहित कृषि भूमि के मुआवजा वितरण में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। यह मुआवजा राशि (Land Compensation Scam) करीब दो करोड़ रूपए की है। जिसको जमीन के पहले मालिक ने हड़प लिया। जबकि दस्तावेजों में मालिकाना हक मुंबई (Mumbai) की एक महिला के पास था। मामले की जांच आर्थिक प्रकोष्ठ विंग की तरफ से की जा रही थी। जिसमें जांच के बाद ईओडब्ल्यू (EOW) ने जालसाजी और गबन का प्रकरण दर्ज कर लिया है। इस मामले में किए गए भुगतान को लेकर अफसरों की भी भूमिका का पता लगाया जा रहा है।

ऐसे सामने आया था पूरा फर्जीवाड़ा जिसकी जांच में इतना वक्त लगा

ईओडब्ल्यू के अनुसार इस मामले में नरसिंहपुर (Narsinghpur) जिले के तेंदूखेड़ा एसडीओ रेवेन्यू राजेंद्र राय (Rajendra Rai) और प्रशांत पाठक (Prashant Pathak) को अभी आरोपी बनाया गया है। प्रशांत पाठक पिता जीपी पाठक जबलपुर (Jabalpur) जिले के राईट टाउन (Right Town) में रहते हैं। मामले की जांच जबलपुर ईओडब्ल्यू में तैनात एसआई विशाखा तिवारी (SI Vishakha Tiwari) ने की थी। इस संबंध में भोपाल ईओडब्ल्यू मुख्यालय में 2017 से 2020 तक चार बार हो चुकी थी। जिसके बाद जांच जून, 2022 में जबलपुर को भेजी गई थी। जांच में पता चला कि आरोपी प्रशांत पाठक ने तेंदूखेड़ा (Tendukheda) एसडीओ की मदद से जमीन अपनी मां पुष्पा पाठक (Pushpa Pathak) के नाम पर कराई। फिर उसकी वसीयत बनाकर उसमें वह हिस्सेदार बन गया। जबकि जमीन मुंबई निवासी मिथलेश गुप्ता (Mithlesh Gupta) के नाम पर थी। इस फर्जीवाड़े को लेकर नरसिंहपुर कलेक्टर ने भी पत्राचार किया था। मिथलेश गुप्ता ने जमीन के मालिकाना हक को लेकर जबलपुर आर्बिटेटर से भी शिकायत की गई थी। इसके अलावा कमिश्नर कार्यालय में भी इसकी शिकायत की थी।

इन धाराओं में दर्ज किया गया आरोपियों के खिलाफ मुकदमा

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भोपाल स्थित आर्थिक प्रकोष्ठ विंग मुख्यालय

आरोपी प्रशांत पाठक ने तीन अलग—अलग किस्त में दो करोड़, दो लाख रूपए से अधिक की मुआवजा राशि (Land Compensation Scam) हासिल कर ली थी। आरोपी ने मुआवजा राशि के लिए अगस्त, 2015 में आवेदन किया था। उसके आवेदन पर तीन महीने बाद ही निराकरण कर दिया गया था। हालांकि जमीन के मालिकाना हक और मुआवजा राशि में विसंगति होने के कारण भुगतान पर रोक लगा दी गई थी। इस आदेश के बावजूद उसने फिर मुआवजा पाने के लिए अपील की थी। यह विषय को छुपाकर एसडीओ रेवेन्यू राजेंद्र राय ने भुगतान आदेश दे दिया था। इस कारण उसको आरोपी बनाया गया। ईओडब्ल्यू ने दस्तावेजों के परीक्षण उपरांत 1 मई को 18/23 धारा  420/406/409/120—बी/7 (जालसाजी, गबन, लोकसेवक की तरफ से गबन, साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत कार्रवाई) की गई है।

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