Bhopal News: कुर्सी बदलने वाली है, तैयार रहिए

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Bhopal News: नए और पुराने के बीच भेदभाव करके फंसे पुलिस मुख्यालय के अफसर, स्पेशल डीजी को कुर्सी के खेल में कांस्टेबल ने दी पटखनी

MP Cop Gossip
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग काफी बड़ा है। उसके भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। ऐसे ही बातों का हमारा नियमित साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। हमारा मकसद व्यवस्थाओं में चल रही बातों को बताना है। यह कतई हम नहीं चाहते व्यक्ति, संस्था या कोई ओहदा कमजोर हो। हमारा मकसद जनहित में रोचकता के साथ विषय की गंभीरता को बताना होता है। ऐसे ही कुछ चुटीली बातें इस बार आपके लिए।

कुर्सी के फेर में जुटे हाशिए पर बैठे अफसर

इस महीने बहुत बड़ी प्रशासनिक सर्जरी मोहन यादव सरकार करने वाली है। इसमें भारतीय पुलिस सेवा के अफसर और राज्य पुलिस सेवा के अफसरों के नाम उसमें शामिल है। हालांकि यह एक रूटीन प्रक्रिया है। दरअसल, तीन महीनों में कई अफसर सेवानिवृत्त होने के साथ कई पदोन्नत भी हो गए हैं। जिन्हें नई सरकार के आने तक वैसे ही काम पर लगाया गया है। लेकिन, सरकार अब फैसला लेने वाली है। इसमें उन जिलों के भी नाम है जहां चुनाव के दौरान पुलिस अधिकारियों ने भाजपा नेताओं की किरकिरी कराई थी। कुछ वीडियो सोशल मीडिया में वायरल भी हुए थे। इधर, कुछ हाशिए में चल रहे अफसर मैन स्ट्रीम फील्ड में आने के लिए जुट गए हैं। एक लॉबी इसके लिए विशेष प्रयास कर रही है। यदि यह तीर चला तो मानकर चलिए बहुत बड़ा उलटफेर एमपी के पुलिस महकमे में होने जा रहा है। जिसमें हर जिला बहुत व्यापक स्तर पर प्रभावित होगा। यह सभी सूचियां वरीयता के आधार पर तैयार हो चुकी हैं। संभावना है कि दिल्ली में शपथ ग्रहण समारोह के बाद इसे हरी झंडी मिल जाएगी।

पूर्व कांस्टेबल ने स्पेशल डीजी को हराया

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भारतीय पुलिस सेवा में 1984 बैच के आईपीएस रहे मैथिलीशरण गुप्त ने भोपाल लोकसभा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था। वे 2019 में स्पेशल डीजी बने थे। इसके बाद इसी पद से रिटायर हुए थे। उन्होंने पहले पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। हालांकि वे बाद में भोपाल से ही लड़े। प्रशासन की तरफ से उन्हें धोती—कुर्ता का चुनाव चिन्ह दिया गया था। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि भोपाल पुलिस (MP Cop Gossip) में साढ़े तीन हजार से ज्यादा वोट है इसमें से आधे भी मिल जाएंगें। लेकिन, हुआ इसके उल्टा। उन्हें 427 वोट मिले। इधर, उनके साथ ही कभी कांस्टेबल रहे बाबूलाल सेन ने चौंका दिया। रीवा से आकर बाबूलाल सेन ने चुनाव लड़ा था। उन्हें मतगणना में 720 वोट मिले।

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नए और पुराने के फेर में भीतर ही भीतर चल रही जंग उजागर

पुलिस मुख्यालय का भवन इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं। वहां भीतर ही भीतर घमासान चल रहा है। मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव कानून—व्यवस्था में इसका इशारा भी दे चुके हैं। जिसके बाद पूरे प्रदेश में ताबड़तोड़ मुहिम चल रही है। अभी एक दिन पहले पीएचक्यू ने क्राइम डाटा निकाला है। जिसमें पिछले और मौजूदा कार्यकाल में अंतर निकाला गया है। हालांकि पूरे प्रदेश में थानों में जाने वाले पीड़ितों को कटु अनुभव पुलिस विभाग से मिलते हैं। ऐसे सैंकड़ों उदाहरण है जो मीडिया में इन दिनों आते ही नहीं हैं। कई एफआईआर कोर्ट के आदेश पर दर्ज हो रहे हैं। इधर, यह डाटा जारी करके पीएचक्यू ने उन लोगों के लिए माहौल बना दिया है जो अपने निजी मकसद के लिए अभियान चला रहे थे। जिसके मायने लोगों को समझने आने लगे हैं। यह सबकुछ एक भारतीय पुलिस सेवा के एक अफसर के लिए किया जा रहा है। दरअसल, वे बैकडोर से एक महत्वपूर्ण कुर्सी के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। जिस कारण यहां अंदर ही अंदर दंगल के दांवपेंच देखने मिल रहे हैं।

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