MP Cop Gossip: चुनावी साल पर कमिश्नर की कुर्सी के लिए घमासान

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MP Cop Gossip: कंप्यूटर के भीतर अटका इमरजेंसी पैरोल का आदेश, नमाजे जनाजा में शामिल होने की बेटे ने मांगी थी अनुमति

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश (MP Cop Gossip) पुलिस महकमा काफी बड़ा होता है। इसके भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ बातें सामने आ जाती है। कुछ फाइलों और गलियारों के बीच कानों के भीतर जाकर रह जाती है। ऐसी ही बातों का हमारा साप्ताहिक नियमित कॉलम एमपी कॉप गॉसिप है। इसके जरिए यह बताना होता है कि दीवारों के भी कान होते हैं। यह प्रयास किसी व्यक्ति, संस्था अथवा पद को लेकर बुरा सोचना नहीं हैं। ऐसे ही कुछ चुटीली जानकारियां आपके लिए इस बार।

चेयर रेस के लिए चार दावेदार

मध्यप्रदेश के दो शहरों भोपाल और इंदौर में 2021 के आखिरी में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई थी। इस प्रणाली के बाद भोपाल और इंदौर में अफसर कुर्सी पर बैठाए गए थे। इस साल चुनाव होना है। इसलिए लाजिमी है कि दोनों ही जगहों पर निर्णय सोच समझकर सरकार लेगी। वहीं एक पुलिस कमिश्नर पारिवारिक कारणों से दिल्ली शिफ्ट होने की बात कर चुके हैं। इन्हीं दो कुर्सियों के लिए कुछ दावेदार रेस लगा रहे हैं। अ​भी फिलहाल म्यूजिक बज रही है। जिस दिन यह रूकेगी उस दिन एक नाम तय हो जाएगा। खबर है कि जो दावेदार नाम आगे कर रहे हैं उनमें से एक महकमे के लिए सिरदर्द अभी से माने जा रहे हैं। वहीं दूसरे अधिकारी का नाम सुनकर ही कई मैदानी कर्मचारी उन दिनों को याद कर रहे हैं जब वे तैनात थे। फिलहाल कर्मचारियों को ‘गौरव’ इस बात का है उनके ‘सतोष’ की परवाह इस बार होगी। इसी कारण दिन में दो बार ‘चावल’ बनाकर प्रसाद बांटा जा रहा है।

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पुलिस कमिश्नर प्रणाली में यह तो हद है

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करते वक्त इसको जनता के हित में बताया था। इसके साथ ही पुलिस विभाग के काम में रफ्तार आने की बात बोली थी। इन दावों की सवा साल के भीतर ही हवा निकलने लगी है। विचित्र तरह के बंदिशों वाले आदेश डीसीपी कार्यालय निकाल रहे हैं। जिसकी मीडिया रिपोर्ट के बाद हंसी—ठिठोली भी हो रही है। अब एक ओर मामला सामने आया है। भोपाल की जेल में एक एनडीपीएस आरोपी की मां का देहांत हो गया था। उसके जनाजे की नमाज जहांगीराबाद स्थित कब्रिस्तान में होनी थी। इस संबंध में पत्राचार जेल विभाग ने किया था। जिस पर डीसीपी मुख्यालय को निर्णय लेना था। वे दोपहर बारह बजे तक निर्णय लेते उससे पहले आदेश की कॉपी कंप्यूटर में अटक गई। नतीजतन, उसे जेल पहुंचते—पहुंचते रात बीत गई। जबकि इमरजेंसी पैरोल दोपहर दो बजे के लिए मांगा गया था।

सौ रूपए देकर रैन बसेरा भेज दिया

पिछले दिनों एक परिवार को ट्रेन से टीटीई ने उतार दिया। दरअसल, परिवार एक व्यक्ति को मुंबई से उत्तर प्रदेश ले जा रहा था। जिसको ले जा रहे थे उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी। उसने चलती ट्रेन में यात्रियों के साथ बवाल कर दिया था। परिवार ट्रेन से उतरा तो उस व्यक्ति ने परिजनों को भी पीट दिया और भाग गया। वह जब भागा तो पुलिस के हत्थे लग गया। उसके हावभाव देखकर समझ आ गया कि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है। रेलवे स्टेशन के किनारे मिली पुलिस (MP Cop Gossip) ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने हमीदिया अस्पताल के एक रैन बसेरा में उसे पहुंचा दिया। यहां जाने से पहले उसकी जेब में सौ रूपए भी रख दिए। यह पूरा मामला तब सामने आया जब मानसिक रूप से विक्षिप्त वह व्यक्ति रैन बसेरा से भी गायब हो गया। उसकी एक थाने में गुमशुदगी भी दर्ज है। जिसके भीतर छुपी सच्चाई उजागर न हो इस बात की चिंता जताई जा रही है।

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