ई-टेंडर घोटाला : ईओडब्ल्यू ने आईएएस मनीष रस्तोगी से की घंटों पूछताछ

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ओएसडी नंद कुमार ब्रह्मे की जमानत अर्जी खारिज, ओस्मो कंपनी के संचालकों ने लगाई जमानत की अर्जी, बैंगलुरू की कंपनी के आधा दर्जन अफसरों से हुई पूछताछ

भोपाल। मध्य प्रदेश के बहु चर्चित ई-टेंडर घोटाले के मामले में मंगलवार को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) के मुख्यालय में दिनभर गहमागहमी रही। यह गहमागहमी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अफसर मनीष रस्तोगी को लेकर थी। वे ईओडब्ल्यू पहुंचे और सीधे डीजी ईओडब्ल्यू केएन तिवारी के कैबिन में चले गए। दोनों अफसरों के बीच घटों बंद कमरे में बातचीत होती रही। यह बातचीत ई-टेंडर घोटाले से जोड़कर देखी जा रही है। हालांकि डीजी ईओडब्ल्यू केएन तिवारी इस मुलाकात को सौजन्य मुलाकात बता रहे हैं।

ईओडब्ल्यू मुख्यालय के बाहर आईएएस मनीष रस्तोगी मीडिया से चर्चा करते हुए

जानकारी के अनुसार ईओडब्ल्यू ने इस मामले में जांच का खुलासा करने वाले आईएएस मनीष रस्तोगी जब मुख्यालय पहुंचे तो वहां कई अफसर आगे-पीछे होते दिखाई दिए। कुछ तकनीकी बिन्दुओं पर ईओडब्ल्यू के अफसरों ने रस्तोगी से कई सवाल भी पूछे। रस्तोगी फिलहाल राजस्व विभाग में प्रमुख सचिव है और वे एमपीएसईडीसी के तत्कालीन एमडी है। एमडी रहते हुए ही उन्होंने गड़बड़ी पकड़ी थी और ई-टेंडर पर ईओडब्ल्यू से जांच करने के लिए उन्होंने राय दी थी। इसके बाद उन्हें तत्कालीन सरकार ने हटाया था जिसके बाद मामले ने तूल भी पकड़ा था। इस पूरे मामले की तकनीकी बिंदुओं की जानकारी रस्तोगी को है जिसके बाद कुछ नए चेहरों का ईओडब्ल्यू खुलासा कर सकती है।

हाईकोर्ट जाएंगे ब्रह्मे
इधर, आरोपियों में शामिल मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रोनिक्स डेव्हल्पमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएसईडीसी) के ओएसडी रहे नंद कुमार ब्रह्मे, विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और वरूण चतुर्वेदी जेल में हैं। ब्रह्मे की तरफ से जमानत अर्जी लगी थी। इस अर्जी की सुनवाई न्यायाधीश संजीव पांडे की अदालत में चली। अदालत में बहस होने के बाद न्यायाधीश ने उनकी अर्जी खारिज कर दी। न्यायाधीश ने कहा कि ब्रह्मे को ई-टेंडर के यूजर्स और पासवर्ड मालूम थे। यह मामला निजी फर्म को लाभ पहुंचाने से जुड़ा है। इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती। अब ब्रह्मे के पास हाईकोर्ट जाने का रास्ता खुला है। इधर, ओस्मो कंपनी के संचालक वरूण चतुर्वेदी, विनय चौधरी और सुमित गोलवलकर ने मंगलवार को जमानत अर्जी के लिए आवेदन अदालत में किया है। जिसकी सुनवाई बुधवार को होगी।

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एंट्रेस कंपनी के अफसरों के पसीने छूटे
सरकार ने ई-प्रोक्योरमेंट को लेकर एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी आईएएस हरिरंजन राव की निगरानी में काम कर रही थी। कमेटी में विशाल बांगड़, विपिन गुप्ता और नंद कुमार ब्रह्मे थे। कमेटी २०१२ में बनी थी। कमेटी के सदस्यों ने केवल कर्नाटक राज्य का दौरा किया। उसकी भी रिपोर्ट उन्होंने सबमिट नहीं की थी। इधर, ईओडब्ल्यू ने मंगलवार को बैंगलुरू की एंट्रेस कंपनी के छह अफसरों से पूछताछ की। इसमें डाटा टैंपर करने और कीमत को लेकर सवाल पूछे गए थे। इस मामले में अफसरों के पसीने छूटते दिखाई दिए। कंपनी से कुछ बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण ईओडब्ल्यू ने मांगा है।

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क्या है मामला
ईओडब्ल्यू ने 10 अप्रैल, 2019 को ई-टेंडरिंग घोटाले के मामले में प्रकरण दर्ज किया था। इसमें जांच के लिए प्राथमिकी जून, 2018 में दर्ज हुई थी। जांच कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम नई दिल्ली से कराई गई। जल निगम के तीन टेंडर, लोक निर्माण विभाग के दो टेंडर, सडक़ विकास निगम के एक टेंडर, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक टेंडर ऐसे करके कुल नौ ई-टेंडरों में गड़बड़ी करना पाया गया था।

कौन है आरोपी
इस मामले में हैदराबाद की कंपनी मैसर्स जीवीपीआर लिमिटेड, मैसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंपनियां दी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मैसर्स जेएमसी लिमिटेड, बड़ौदा की कंपनी सोरठिया बेलजी प्रायवेट लिमिटेड, मैसर्स माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्टक्शन कंपनी मैसर्स रामकुमार नरवानी लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। अधिकांश कंपनियों के पते पर आधा दर्जन से अधिक कंपनियां भी चल रही है। इसके अलावा साफ्टवेयर बनाने वाली ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्रायवेट लिमिटेड, एमपी एसईडीसी, एन्टेस प्रायवेट लिमिटेड और बैगलोर की टीसीएस कंपनी को भी आरोपी बनाया गया है।

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अब तक क्या
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में सबसे पहले 11 अप्रैल, 2019 को भोपाल के मानसरोवर में दबिश दी। यहां से तीन आरोपियों विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और वरूण चतुर्वेदी को हिरासत में लिया। तीनों आरोपियों को 12 अप्रैल को अदालत में पेश करके 15 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया। इसी बीच 14 अप्रैल को नंदकुमार को गिरफ्तार किया गया। जिसे ओस्मो कंपनी के तीनों आरोपियों के साथ 15 अप्रैल को जिला अदालत में न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडे की अदालत में पेश किया गया। यहां से आरोपियों से अनुसंधान से जुड़ी जानकारियों के संबंध में पूछताछ करने के लिए 18 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया। यह रिमांड खत्म होने के बाद ईओडब्ल्यू ने संजीव पांडे की अदालत में आरोपियों को पेश किया। यहां से पहले गिरफ्तार तीन आरोपियों को तीसरी बार पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया। इसी तरह नंद कुमार को दूसरी बार पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया। चारों आरोपियों की रिमांड २२ अप्रैल को समाप्त हो गई। जिसके बाद उन्हें ६ मई तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।

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