‘सीएम शिवराज के करीबी अधिकारी नीरज वशिष्ठ के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं’

Share

तीन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर के आदेश पर बोले दिग्विजय सिंह

Digvijaya Singh
दिग्विजय सिंह, राज्यसभा सांसद

भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान हुए लेनदेन के खुलासे ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने तीन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए है। दूसरी तरफ एक लिस्ट भी सामने आ गई है। जिसमें बड़े नेताओं के साथ-साथ 50 से ज्यादा मौजूदा विधायकों के नाम है। मध्यप्रदेश में शुरु हुई इस उठापटक के बीच राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस वार्ता की। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके करीबी अधिकारी नीरज वशिष्ठ पर गंभीर आरोप लगाए।

‘बर्बाद हो जाते भाजपा नेता’

दिग्विजय सिंह ने कहा कि ‘कमलनाथ की 15 महीने की सरकार में ई टेंडरिंग, व्यापम, सिंहस्थ, पेंशन घोटाला जैसे अनेक घोटालों की जांच शुरु हो गई थी। भूमाफिया, रेत माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो रही थी। जिससे भाजपा घबरा गई थी। यहीं वजह है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सांवेर में कहा था कि कमलनाथ की सरकार रहती तो हम बर्बाद हो जाते। अब कैलाश विजयवर्गीय ने साफ कर दिया है कि मोदी जी कहने पर सरकार गिराई गई।’

‘ई टेंडरिंग घोटाले की जांच कर रहे थे अधिकारी’

लोकसभा चुनाव 2019 के ठीक पहले पड़े आयकर छापों के मामले में चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को निर्देश दिए है। निर्देश है कि तीन आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, संजय माने और बी. मधुकुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। इन तीनों अधिकारियों का बचाव करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि ये अधिकारी ई टेंडरिंग की जांच कर रहे थे। चुनाव से इऩका कोई लेना देना नहीं था। कमलनाथ ने ई टेंडरिंग की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी थी, ये तीनों अधिकारी ईओडब्ल्यू में पदस्थ थे। लिहाजा चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे है।

यह भी पढ़ें:   Back To Home Project Scam: 3800 करोड़ रुपए के घोटाले पर कमलनाथ सरकार की चुप्पी

‘घोटाले को दबाने की कोशिश की गई’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस अधिकारी ने ई टेंडरिंग घोटाला पकड़ा था, वें आज मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव है। हालांकि उन अधिकारी की ईमानदारी पर कोई संदेह नहीं है। मध्यप्रदेश में ई टेंडरिंग के नाम पर बड़ा घोटाला किया गया। हजारों करोड़ रुपए के टेंडर अपने चहेतों को दिए गए। इस घोटाले को दबाने की तमाम कोशिशे भी शिवराज सरकार ने की।

नीरज वशिष्ठ पर कार्रवाई क्यों नहीं

2013-14 में मध्यप्रदेश की एक कंपनी पर आईटी, ईडी का छापा पड़ा था। इस दौरान कंपनी के कंप्यूटर ने अहम राज उगले थे। जिसके मुताबिक अधिकारी नीरज वशिष्ठ को दो किश्तों में 8 करोड़ रुपए की राशि मिली थी। दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि नीरज वशिष्ठ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए पैसों के लेनदेन का काम करते थे। इसलिए वो सीएम के चहेते भी है। इसी कंप्यूटर ने तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री को भी करोड़ों रुपए दिए जाने का खुलासा किया था। बता दें कि 2013 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे।

वशिष्ठ से इतना प्रेम क्यों

दिग्विजय सिंह ने कहा कि सीएम शिवराज को नीरज वशिष्ठ से इतना प्रेम क्यों है। पूर्व मुख्यमंत्री रहते उन्होंने कमलनाथ से मांग की थी कि नीरज वशिष्ठ को उनके स्टॉफ में पदस्थ किया जाए। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री को क्लास वन अधिकारी नहीं मिलता। 2013 की रेड में वशिष्ठ का नाम आया था। फिर उनके खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं की गई।

यह भी पढ़ेंः मामूली विवाद में चली गई आर्किटेक्ट की जान, सामने आया दर्दनाक वीडियो

यह भी पढ़ें:   Nursing College Affiliation Scam: इंस्पेक्टर के बाद एसआई बर्खास्त

खबर के लिए ऐसे जुड़े

हमारी कोशिश है कि शोध परक खबरों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके लिए कई विषयों पर कार्य जारी है। हम आपसे अपील करते हैं कि हमारी मुहिम को आवाज देने के लिए आपका साथ जरुरी है। हमारे www.thecrimeinfo.com के फेसबुक पेज और यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें। आप हमारे व्हाट्स एप्प न्यूज सेक्शन से जुड़ना चाहते हैं या फिर कोई घटना या समाचार की जानकारी देना चाहते हैं तो मोबाइल नंबर 9425005378 पर संपर्क कर सकते हैं।

Don`t copy text!