NIA Act के खिलाफ Supreme Court पहुंची Chhattisgarh Government

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NIA Act को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग

Ayodhya Verdict
सु्प्रीम कोर्ट का फाइल फोटो

रायपुर। National Investigative Agency (NIA) Act के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार Chhattisgarh Government ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) का रुख किया है। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम 2008 को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की है (National Investigative Agency (NIA) Act as unconstitutional)। देश में पहली बार किसी राज्य सरकार ने एनआईए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अदालत से कहा कि एनआईए अधिनियम को असंवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि यह स्थानीय पुलिस से खोज और जब्ती की शक्ति छीन लेता है। याचिका में ये भी कहा गया कि एनआईए अधिनियम न केवल राज्य पुलिस की शक्ति को छीनता है बल्कि केंद्र को मनमानी करने की शक्ति प्रदान करता है।

इससे पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने बिलासपुर हाईकोर्ट में एनआईए के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि एनआईए पुलिस के अधिकारों में दखल नहीं दे सकती है। इसके साथ ही यह पिटीशन भी दाखिल किया गया है कि छत्तीसगढ़ के किसी भी मामले में जांच करने का अधिकार एनआईए को नहीं मिलना चाहिए। इस संबंध में एडवोकेट जनरल सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि देश् में पहली बार एनआईए एक्ट को चुनौती दी जा रही है।

बता दें कि केंद्र सरकार ने भाजपा विधायक भीमा मंडावी हत्याकांड (Bhima Mnadavi Murder Case) की जांच एऩआईए को सौंपी है। जिसके बाद बस्तर निवासी झुमर क्यामी ने एऩआईए एक्ट के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बता दें कि केंद्र सरकार ने विधि विरुद्ध क्रियाकलाप, आतंकवाद की घटना सहित अन्य गंभीर अपराध के मामलों की जांच करने के लिए एनआइए को अधिकृत किया है। अधिसूचना जारी कर एनआईए एक्ट बनाकर उनके अधिकार क्षेत्र को निर्धारित किया गया है।

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छत्तीसगढ़ सरकार ने याचिका में कहा कि एनआईए एक्ट राज्य शासन के अधिकार पर अतिक्रमण कर रहा है। राज्य के अंदर हुए अपराध की जांच राज्य पुलिस को करनी है। केंद्र सरकार ऐसे मामले में कैसे हस्तक्षेप कर सकती है। याचिका पर हाईकोर्ट बिलासपुर के चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की डबल बेंच में सुनवाई हुई और याचिका खारिज हो गई। हाईकोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

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