माखनलाल विश्वविद्यालय में हुई फर्जी नियुक्तियों के लाभान्वितों को बचा रही कमलनाथ सरकार

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जांच एजेंसी के चयन पर संदेह, आपराधिक मुकदमे की जांच आर्थिक मामलों की विशेषज्ञता रखने वाली ईओडब्ल्यू को सौंपे जाने पर सवाल

भोपाल। आयकर छापे के बाद मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार भाजपा शासन में हुई गड़बडिय़ों की फाइल खोलना तो शुरू कर दिया है लेकिन जांच एजेंसियों के चयन पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। मामला माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं संस्थान में भाजपा सरकार के दौरान हुई फर्जी नियुक्तियों से जुड़ा है। मौजूदा सरकार ने आनन-फानन में इस मामले की जांच के आदेश दिए। लेकिन, प्रथम दृष्टया आपराधिक प्रकरण की जांच आर्थिक मामलों की विशेषज्ञता रखने वाले आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ईओडब्ल्यू को देना संदेह पैदा करता हैं। आपराधिक मामलों में जहां गिरफ्तारी की संभावना बनी रहती है वहीं आर्थिक अपराध में आरोपी इससे बचे रहेंगे और वे जांच को प्रभावित भी कर सकते हैं।

इस मामले में रिटायर्ड डीजी अरूण गुर्टू ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने जांच करने का फैसला लिया यह बिल्कुल सही है। इस मामले में पहले जानकारी मिली थी जिसके बाद तत्कालीन राज्यपाल रामनरेश यादव से शिकायत की गई थी। लेकिन, मामले को ठंडे बस्ते में डाला गया। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने ईओडब्ल्यू को जांच सौंपकर मेरा मानना गलत किया है। यह प्रकरण आपराधिक श्रेणी में आता है न कि वित्तीय अनियमित्तता से जुड़ा है। आपराधिक मामलों के जानकार का मानना है कि यह प्रकरण सीआईडी या फिर एसटीएफ जैसी एजेंसियों को सौंपा जाना था। जिसमें गिरफ्तारी से लेकर चालान प्रक्रिया को जमा करने की मियाद तय होती है। इसी कारण अब सरकार की नीयत पर जानकार शक कर रहे हैं और इसकी आड़ में दूसरे हित साधने की तरफ इशारा कर रहे हैं।

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संघ और भाजपा के नेता टारगेट पर

भाजपा के डेढ़ दशक के शासनकाल में माखनलाल में जमकर बंदरबांट हुआ। इसमें पूर्व कुलपति बीके कुठियाला का कार्यकाल सबसे ज्यादा विवादित रहा है। कुठियाला आरएसएस के चहेते लोगों की सूची में शामिल थे। जिन नियुक्तियों पर आपत्ति जताई जा रही है उसमें रिंकी जैन का भी नाम है। रिंकी फायनांस ऑफिसर थी और उसके पास वित्तीय मामलों से जुड़ी डिग्री भी नहीं थी। रिंकी के पति आदित्य जैन के लिए यूनिवर्सिटी में नया पद सृजित किया गया। यह पद बनाने की आवश्यकता ही नहीं थी। सूत्रों ने बताया कि रिंकी के चाचा आरएसएस के बड़े नेता है और एक रिश्तेदार सागर में भाजपा के विधायक हैं।

बिना पीएचडी प्रोफेसर
माखनलाल में अविनाश बाजपेयी की नियुक्ति रीडर के रूप में की गई। इसके लिए उन्होंने अपनी पीएचडी पेश की। लेकिन, जिस विषय पर उन्होंने पीएचडी की उससे अलग विषय का उन्हें रीडर बनाया गया। इसी तरह कुठियाला के विशेष कृपापात्र में शामिल सौरव मालवीय की नियुक्ति का भी है। सौरव ने नेट क्वालीफाइड नहीं किया था और नौकरी करते-करते नेट क्वालीफाइड किया। दिल्ली में अरूण भगत की नियुक्ति प्रोड्यूसर के रूप में हुई जिसके वह पात्र नहीं थे। कंचन भाटिया जो कि एसआईआरटी में लेक्चरार थी और माखनलाल में उन्हें प्रोफेसर बना दिया गया। माखनलाल में प्रोफेसर संजय द्विवेदी बिना पीएचडी प्रोफेसर बना दिए गए। यह सारी नियुक्तियां बिना मापदंड़ों के संवेधानिक और सांगठनिक नियमों को दरकिनार करते हुए की गई।

मंत्री के रिश्तेदार को नौकरी दिलाने यह किया

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माखनलाल में बंदरबांट भाजपा शासनकाल में अपने हिसाब से सबने की। इसमें तत्कालीन कुलपति, विभागीय मंत्री से लेकर कई अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि भाजपा शासनकाल में जनसंपर्क मंत्री रहते हुए भाजपा के एक विधायक ने अपने रिश्तेदार को माखनलाल में नौकरी दिलाई। यह नौकरी रीवा में विजेन्द्र शुक्ला को दिलाई गई थी। विजेन्द्र के पास एमजे की डिग्री थी जबकि जिस पद में भर्ती हुई उसके लिए एम लिब और बी लिब की डिग्री चाहिए थी। भाजपा शासनकाल में ऐसी करीब 50 नियुक्तियां हुई है। यह सारी नियुक्तियां 50 हजार रुपए से लेकर सवा एक लाख रुपए के वेतन पर हुई थी।

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रिंकी रहेगी टारगेट पर

कमलनाथ सरकार के आदेश पर जांच करने वाले जनसंपर्क आयुक्त पी नर​हरि

कमलनाथ सरकार ने इस मामले की जांच के लिए जनसंपर्क आयुक्त पी नरहरि की अगुवाई में कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने अपनी जांच पूरी करके रिपोर्ट सौंप दी है। इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर रजिस्ट्रार दीपेन्द्र सिंह बघेल ने ईओडब्ल्यू को प्रकरण दर्ज करने के लिए भेजा है। इधर, इस मामले में रिंकी टारगेट पर रहेगी। दरअसल, वह फायनांस ऑफिसर थी। उसने कुठियाला के कार्यकाल में जमकर गड़बडिय़ां की। रिंकी ने कुठियाला के शराब, होटल के बिल से लेकर विदेश की यात्राओं का खर्चा भी विवि के बजट से निकालकर उसमें डाल दिया।

70 साल में मिली नौकरी
प्रदेश में करोड़ों युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही। लेकिन, माखनलाल ने अपने यहां भाई-भतीजावाद के अलावा उम्रदराजों पर भी मेहरबानी कर रखी थी। माखनलाल में अभी भी भाजपा विधायक की बहन संबंधित विभाग न होने के बावजूद एचओडी बनकर नौकरी कर रही है। पति-पत्नी, भाई-भाई, जीजा-साले से लेकर कई ऐसे ही पारिवारिक रिश्तों वाले लोग नौकरी कर रहे हैं। इनमें उम्रदराज वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. एन.के. त्रिखा, प्राध्यापक शोध विभाग प्रोफेसर देवेश किशोर और प्राध्यापक प्रशिक्षण विभाग रामजी त्रिपाठी को नियुक्ति दी गई। यह सभी 70 से लेकर 76 साल की उम्र के थे।

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