Exclusive News: बिहार के दर्जनों बच्चे सरकारी आदेश में घर वापसी से मरहूम

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Exclusive News: एफआईआर की रिपोर्ट मांगी जा रही, कलेक्टर बोले जिन्हें तकलीफ वे मुझसे आकर संपर्क करें, एक सप्ताह से भटक रहे परिजन

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टीसीआई

भोपाल। बिहार के कटिहार जिले के दर्जनों बच्चे विदिशा जिले के बाल अनाथ आश्रम में एक सप्ताह से रहने को मजबूर हैं। इन सभी बालकों के माता—पिता सीडब्ल्यूसी कमेटी और पुलिस थानों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। दरअसल, बच्चों के माता—पिता को जिला प्रशासन (Exclusive News) नहीं सौंप रहा है। प्रशासन ने अभिभावकों के सामने शर्त रख दी है कि वे पुलिस थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराए। इसके बाद ही वे उन्हें सौंप सकेंगें।

मदरसे में पढ़ाने के बहाने सूरत ले जा रहे थे

जानकारी के अनुसार विदिशा (Vidisha) रेलवे स्टेशन और रतलाम (Ratlam) स्टेशन पर यह बच्चे 16 जुलाई को अलग—अलग ट्रेनों से उतारे गए थे। यह यूपी के एक सामाजिक कार्यकर्ता की तरफ से दी गई सूचना पर उतारे गए थे। आरोप लगाया गया था कि इन्हें मदरसे (Madarsa) में पढ़ाने के बहाने गुजरात (Gujrat) के सूरत(Surat)  जिले में बाल मजदूरी के लिए ले जाया जा रहा है। आरपीएफ थाना प्रभारी राजेंद्र सिंह (TI Rajendra Singh) और सामाजिक कार्यकर्ता दीपा शर्मा (Deepa Sharma) की मदद से करीब 30 बच्चों को ट्रेनों (Train) से उतारा गया। जांच में पता चला कि यह सारे बच्चे उनके अभिभावकों के साथ थे। जिन्हें वे अपने साथ इसलिए ले जा रहे थे ताकि वे मदरसे में वहां पढ़ाई कर सके। इस घटना को लेकर काफी सनसनी भी मची थी। अब ताजा खुलासे के बाद सामने आए तकनीकी पेंच में रेलवे और जिला प्रशासन फंस गया है। विदिशा जिले के बाल कल्याण समिति (Baal Kalyan Samiti) के अध्यक्ष रामबाबू प्रजापति (Rambabu Prajapati) से इस मामले में प्रतिक्रिया ली गई। उन्होंने पहले तो कहा कि हमेें गुमशुदगी या एफआईआर की रिपोर्ट मिलेगी तो ही सौंप सकेेंगें। इसके बाद वे बोले कि हमने इस तरह को कोई आदेश नहीं दिया है। यानि दो तरह के बयान देकर वे अपनी जिम्मेदारियों से बचते नजर आए। वहीं विदिशा कलेक्टर अंशुल गुप्ता (DM Anshul Gupta) ने कहा कि यदि अभिभावक आपके संपर्क में हैं तो उन्हें आप मेरा फोन नंबर दे दीजिए। समस्या का समाधान करा दिया जाएगा।

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