Operation Prahar : वह ड्रग जिसके इस्तेमाल के बाद आदमी एक मर्डर करने के बाद दूसरा मर्डर करके भी संतुष्ट नहीं होता

Share
Operation Prahar
एसटीएफ की गिरफ्त में मां यास्मीन उर्फ शंकुतला और दूसरे पति का बेटा साबिर हुसैन

इंदौर में इसी ड्रग के सेवन करने के बाद हुए थे तीन कत्ल, प्रतिबंधित अल्प्राजोलम ड्रग के साथ मां—बेटे गिरफ्तार, दो करोड़ रुपए का कच्चा पाउडर जब्त, विदेशी सैलानियों की डिमांड पर होटलों में होती है सप्लाई, लैब में तैयार होती है इससे दवा, सरकार से लेना होती है निर्माण की मंजूरी, गिरोह के तार अंतरराज्यीय स्तर पर जुड़े

भोपाल। आप सुनकर हैरान हो जाएंगे लेकिन यह कड़वा सच है। व्यक्ति के इलाज में काम आने वाले ड्रग का माफिया गलत इस्तेमाल भी कर रहे हैं। यह ड्रग इतना खतरनाक है कि इसके सेवन के बाद व्यक्ति को गलत काम करने में मजा आता है। बात हो रही है प्रतिबंधित अल्प्राजोलम (Alprazolam) ड्रग की जो लैब में तैयार किया जाता है। इसी घातक ड्रग के साथ स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने मां—बेटे को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी सरकार के आदेश पर शुरू आपरेशन प्रहार (Operation Prahar) के तहत स्पेशल टास्क फोर्स ने की है। बरामद ड्रग की कीमत लगभग दो करोड़ रुपए है।

कितना खतरनाक है आप खुद जान लीजिए
एसपी एसटीएफ विनय पाल ने बताया कि यह बहुत ही घातक ड्रग होता है। उन्होंने इंदौर में सिलसिलेवार एक ही दिन में हुई तीन हत्या (Treble Murder ) का मामला बताते हुए जानकारी दी कि फौजा नाम के व्यक्ति को हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उससे जब पूछताछ की गई तो उसने कहा कि मारने वालों से उसकी कोई दुश्मनी नहीं थी। वह उन्हें पहचानता भी नहींं था। लेकिन, यह हत्या उसने मजे के लिए की थी। इसकी वजह बताते हुए उसने अल्प्राजोलम ड्रग के नाम का खुलासा किया था। उसने बताया कि यह ड्रग लेने के बाद लसूडिया, विजय नगर इलाके में एक—एक करके तीन लोगों को चाकू मारकर मौत के घाट उतार दिया था। उसने बताया था कि उसे एक मर्डर करने में मजा नहीं आया तो दूसरा फिर तीसरा मर्डर किया। इस ड्रग की सप्लाई में विदेशों का भी हाथ है। यह ड्रग बांग्लादेश के रास्ते भारत में आ रहा है। बांग्लादेश में कॉटन मिल में मजदूरों की चाय में इसी ड्रग को मिलाकर दिया जाता है। जिससे वह दुगुना काम करते हैं।

Operation Prahar
एसटीएफ टीम के सुरक्षा घेरे में मौजूद आरोपी मां—बेटे

सप्लाई देने जा रहे मां—बेटे गिरफ्तार
स्पेशल डीजी एसटीएफ पुरूषोत्तम शर्मा ने बताया कि सरकार की तरफ से आपरेशन प्रहार (Operation Prahar) चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में अल्प्राजोलम (Alprazolam) को लेकर एसटीएफ को सूचना मिली थी। इस सूचना पर भोपाल एसटीएफ एसपी राजेश सिंह भदौरिया की निगरानी में टीम बनाकर दो लोगों को दबोचा गया। यह गिरफ्तारी भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 से की गई। गिरफ्तार महिला यास्मीन उर्फ शंकुतला है। उसके साथ बेटा साबिर हुसैन भी था। दोनों के कब्जे से तीन किलो अल्प्राजोलम ड्रग कच्चे पाउडर के रूप में मिला। यह दोनों आरोपी मूलत: मंदसौर के रहने वाले हैं। आरोपियों से पूछताछ में एक संदेही दीपक नाम के व्यक्ति का पता चला है। उस व्यक्ति की तलाश की जा रही है। दोनों आरोपी बनारस जाने के लिए ट्रेन पर सवार होने वाले थे। मां—बेटे यह ड्रग दो साल से बेच रहे हैं।

यह भी पढ़ें:   Madhya Pradesh Political Crime: मंत्रियों के नाम से शहर के अखबार में छपा फर्जी विज्ञापन

यह भी पढ़ें : फरार अपराधियों के प्रति मध्यप्रदेश पुलिस की दरियादिली में डकैती मामले के गवाह की चली गई जान

पति पहले ही जेल में
एसपी भोपाल राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि यास्मीन का वास्तविक नाम शंकुतला है। उसके पिता मंदसौर कलेक्टर कार्यालय में तैनात थे। शंकुतला की पहली शादी नरेन्द्र से हुई थी। यह रिश्ता ज्यादा दिन नहीं टिका। जिसके बाद उसने नूर मोहम्मद से शादी कर ली और अपना नाम यास्मीन रख लिया। यास्मीन और नूर मोहम्मद बिहार के सासाराम में 50 ग्राम अल्प्राजोलम के साथ गिरफ्तार हुए थे। यह गिरफ्तारी 2003 में हुई थी। पति अभी भी जेल में हैं और यास्मीन जमानत पर रिहा है। यास्मीन ने नूर मोहम्मद के जेल में जाने के बाद तीसरे व्यक्ति आसिफ से शादी की है। एसपी ने बताया कि यास्मीन की जमानत रद्द कराने की कार्रवाई एसटीएफ की तरफ से जल्द की जाएगी। एसपी ने बताया कि एक किलो अल्प्राजोलम की सप्लाई में यास्मीन को डेढ़ से दो लाख रुपए का कमीशन मिलता है।

मेट्रो शहरों में ज्यादा डिमांड
एडीजी एसटीएफ अशोक अवस्थी ने पूरे रैकेट के नेटवर्क की जानकारी देते हुए बताया कि यह पार्टी ड्रग (Party Drug) के नाम से ज्यादा जाना जाता है। इसकी सप्लाई की चैन काफी लंबी है। जिसकी बारीकी से पड़ताल की जा रही है। इसके लिए मोबाइल कॉल डिटेल का भी सहारा लिया जा रहा है। अवस्थी ने बताया कि इस ड्रग का इस्तेमाल मेट्रो शहरों में ज्यादा होता है। इसे रेव पार्टी में ज्यादा बांटा जाता है। ड्रग का इस्तेमाल भारत में अधिकांशत: आपराधिक किस्म के व्यक्ति या फिर विदेशी सैलानी करते है। इसलिए ड्रग के कैरियर वह जगह जहां विदेशी सैलानी ज्यादा आते हैं वहां पहुंचाने का काम करते है। यह ड्रग डिमांड पर होटल, लॉज और बड़े रेस्तरां में सप्लाई होता है। यह बात यास्मीन से हुई पूछताछ में निकलकर सामने आई है। यास्मीन यह ड्रग लेकर बनारस जा रही थी। एडीजी ने बताया कि हमें जो ड्रग मिला है वह पाउडर की शक्ल में हैं। इसकी गोलियां बनाकर बेचने पर यह रकम पांच करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है।

यह भी पढ़ें:   Bhopal Loot News: बी.काॅम की छात्रा का मोबाइल छीनकर भागा लुटेरा

यह भी पढ़ें : साल में एक दिन शहीदों को सैल्यूट मारने वाले अफसर सवाल पूछे जाने पर कैसा देते हैं जवाब

यह होता है ड्रग में
अल्प्राजोलम (Alprazolam) नाम का यह ड्रग लायसेंस लेकर ही बनाया जा सकता है। जानकारी के अनुसार पीथमपुर में यह ड्रग बनाने वाली फैक्ट्री में चोरी की बड़ी वारदात हुई थी। इस वारदात में शामिल कर्मचारी ही निकले थे। जिन्होंने पैसों की लालच में यह ड्रग बाजार में बेच दिया था। इस ड्रग का कैमिकल पहचान सी17एच13 (C17H13) है। इसमें क्लोरो, मिथाइल, फिनाइल, ट्रायजोलो और बेंजाडायजिपिन का मिश्रण होता है। इसका इस्तेमाल बीयर या शराब के साथ किया जाता है। इसका पाउडर रत्ती भर लेने से उसका नशा दो दिनों तक बरकरार रहता है।

इस काम आता है ड्रग
अल्प्राजोलम (Alprazolam) ड्रग जहां समाज के लिए नुकसान पहुंचाने वाला हैं तो इसके कुछ फायदे भी है। इसके इस्तेमाल की सलाह प्रशिक्षित डॉक्टर ही दे सकते हैं। बिना डॉक्टर की सलाह इसके इस्तेमाल या फिर रखने में कार्रवाई हो सकती है। यह अमूमन उस मरीज को दिया जाता है जो चिंता का शिकार हो गया हो। घबराहट होने या फिर नींद नहीं आने पर यह दवा दी जाती है। इस दवा के इस्तेमाल के बाद मस्तिष्क की तंत्रिका और कोशिकाओं पर असर पड़ता है। व्यक्ति की कोशिकाओं की गति को काबू में करती है। इस दवा के लगातार इस्तेमाल करने पर आप साफ नहीं बोल पाएंगे। चक्कर आना, नींद नहीं लगना, दस्त, सिर दर्द और भूख न लगने के लक्ष्ण दिखते हैं।

Don`t copy text!