MP Cop Gossip: पुलिस वाहन से कुचलकर मौत का मामला 

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MP Cop Gossip: थाना प्रभारी भूल गए कि यह मिशनरी नहीं सरकारी स्कूल है जहां पुलिस विभाग की मैदानी हकीकत से आमना—सामना हो सकता है, नेता जी के होटल के किस्से एसपी ने खोले

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग काफी बड़ा होता है। उसके भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ बातें मीडिया में आ जाती है तो बहुत कुछ फाइल में दबी रह जाती है। ऐसे ही बातों का हमारा साप्ताहिक नियमित कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। हमारा मकसद किसी विभाग, व्यक्ति, पद की ​गरिमा को ठेस पहुंचाना नहीं हैं। हम चाहते हैं कि व्यवस्थाओं में सुधार और पारदर्शिता बेहतर हो। ताकि अंग्रेजों की बनी कानून—व्यवस्था के घेरे से बाहर निकलकर वास्तविक समाज के अनुरूप निर्णय लिया जा सके।

थाना प्रभारी की हुई किरकिरी

राजधानी भोपाल के एक थाना प्रभारी अपने मातहतों के साथ एक सरकारी स्कूल में पहुंचे। वहां उन्होंने बार—बार बच्चों से पूछा कि किसे पुलिस से डर लगता है। यदि ऐसा है तो अपने हाथ उठाएं। एक भी बच्चे ने हाथ खड़े नहीं किए। इसके बाद उन्होंने कहा कि कोई थाना देखना चाहता है क्या। इस पर एक बच्चे ने तपाक से बोल दिया कि चोर से इंटरव्यू कराएंगे। वे फिर सकपका गए और खामोश हो गए। उन्हें लगा कि वे किसी मिशनरी स्कूल में हैं जहां बच्चे पुलिस और कानून को भय मानते हैं। हालांकि वे यह भूल गए कि वह सरकारी स्कूल में खड़े हैं। जहां जमीन की मूल बातों से उनका आमना—सामना होगा। जब सरकारी स्कूल के किसी भी बच्चे ने उन्हें भाव नहीं दिया तो उन्होंने सरेंडर करते हुए बोला कि वे पुलिस के साथ हुए अनुभव साझा करें। इस पर एक बालक खड़ा हुआ। उसने बताया कि पड़ोसी ने अतिक्रमण कर लिया। जिसके विवाद में पड़ोसी का छोड़कर निगम ने उनका अतिक्रमण तोड़ दिया। पुलिस उसे रोक ही नहीं पाई। परिवार थाने आया तो उन्हें सरकारी नियमों का पाठ बताकर चलता कर दिया। थाने के चक्कर लगाने में उसके पिता की नौकरी भी छूट गई।

दूसरी घटना के बाद तो मोबाइल नंबर दे दिया

इसके बाद थाना प्रभारी को दूसरे बच्चे ने सरकारी व्यवस्थाओं से उनका सामना करा दिया। यह सबकुछ वाक्या होते वक्त वहां महिला प्रिंसीपल भी मौजूद थी। एक अन्य बच्चे ने बताया कि उसके पिता डेढ़ साल से लापता है। वह और उसका परिवार कई बार थाने के चक्कर लगा चुका है। आज तक पुलिस (MP Cop Gossip) ने कोई सहयोग नहीं किया। आलम यह है कि अब उन्हें देखकर जांच अधिकारी से लेकर दूसरा स्टाफ यहां—वहां भागने लगता है। इसके बाद थाना प्रभारी ने अपने ज्ञान के पिटारे को समेटा और उस बच्चे को अपना सरकारी सीयूजी नंबर नोट कराकर वहां से चलते बने। राजधानी में सरकारी सीयूजी नंबर कई अफसर आज भी नहीं उठाते हैं।

डॉक्टर बनाम पुलिस

बुरहानपुर जिले के शाहपुर थाने के पुलिसकर्मी का वायरल वीडियो ने डॉक्टरों और पुलिस के बीच खाई बना दी है। दरअसल, डॉक्टर रघुवीर सिंह पर अभद्रता के आरोप लगे थे। जिसके बाद सिविल सर्जन डॉक्टर प्रदीप मोजेस ने उन्हें गुलई तबादला कर दिया था। इसके बाद से हर चोट की बारीकी से रिपोर्ट पुलिस को भेजी जा रही है। इससे पुलिस की मुश्किले बढ़ने लगी है। क्योंकि रिपोर्ट के आधार पर गंभीर धाराएं लगती है और कम होती है।

पीएचई कर्मचारी की मौत का मामला शांत

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उज्जैन जिला इस वक्त पूरे एमपी (MP Cop Gossip) में हॉट माना जाता है। दरअसल, प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव का यह विधानसभा वाला जिला भी है। इसलिए यहां होने वाले अपराध से लेकर थानों की घटनाएं प्रदेश में चर्चा का विषय बन जाती है। ऐसे ही एक भीषण दुर्घटना पिछले दिनों हुई। जिसमें पीएचई कर्मचारी मदनलाल परमार की मौत हो गई। यह मौत पुलिस के जेल वाहन से हुई थी। इसमें बंदियों को इंदौर हाईकोर्ट ले जाया जा रहा था। नाराज भीड़ ने जमकर उत्पात भी मचाया और वाहन में तोड़फोड़ कर दी। हालांकि अब यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। लेकिन, पुलिस वाहन की हालत और उसकी रिपोर्ट को भीतर ही भीतर नस्ती के जरिए चलाया जा रहा है। जिस दिन यह नस्ती बाहर आई तो मीडिया में खबर फिर बनना तय है।

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पुलिस राजनीति में फंस गई

सागर ​जिले के मोती नगर थाने में नाबालिग से हुई ज्यादती के माममले में डीएनए रिपोर्ट बदल गई। एसपी अभिषेक तिवारी को शक है कि यह इरादतन किया गया है। क्योंकि जहां वारदात हुई वह होटल है जो कि एक राजनीतिक घराने का है। इस वारदात में आरोपी निकित यादव और अभिषेक कोरी थे। अब एक साल पुराना यह मामला फिर सुर्खियों में हैं। जिसकी चपेट में थाने में तैनात और केस में जांच कर रहे एसआई लखन डाबर, हवलदार प्रमोद बागरी, सुनील ठाकुर और सिपाही मंजीत घोषी और विनय आ गए हैं। एसपी ने पूरे प्रकरण की बारीकी से जांच करने के लिए सीएसपी यश बिजौरिया को आदेश दिया है। जिस दिन यह रिपोर्ट बनी उस दिन फिर हंगामा होना तय है।

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