Bhopal Property Fraud: एसीपी से हुई शिकायत के बाद जांच में फंसे नायाब तहसीलदार और पटवारी, फर्जीवाड़ा करने वाले कई लोगों की भूमिका संदेह के दायरे में आई

भोपाल। करोड़ों रुपए की कृषि भूमि को हड़पने के लिए बनाई गई योजना को वास्तविक मालिक ने पकड़ लिया। आरोप है कि यह फर्जीवाड़ा बकायदा नायाब तहसीलदार और पटवारी की मिलीभगत से अंजाम दिया गया। यह मामला भोपाल (Bhopal Property Fraud) शहर के कोहेफिजा थाना क्षेत्र का है। इस मामले में अभी तक पांच लोगों की संदिग्ध भूमिका सामने आ चुकी है। जिसके बाद पुलिस ने जालसाजी का प्रकरण दर्ज कर लिया है। इस मामले की शिकायत एसीपी शाहजहांनाबाद अनिल बाजपेयी के पास हुई थी। यह संवेदनशाील प्रकरण अभी मीडिया से छुपाया गया है।
इन अफसरो की थी संदिग्ध भूमिका
कोहेफिजा (Kohefiza) थाना पुलिस के अनुसार जितेंद्र यादव उर्फ जीतू (Jitendra Yadav@Jeetu) पिता स्वर्गीय भगवान दास यादव उम्र 33 साल ने इस मामले की शिकायत दर्ज कराई है। वह जहांगीराबाद थाना क्षेत्र स्थित अहीरपुरा में रहता है। उसने शारदा यादव (Sharda Yadav) के खिलाफ हुजूर तहसील कार्यालय में झूठा शपथ पत्र देने का आरोप लगाकर शिकायत की थी। जितेंद्र यादव उर्फ जीतू ने पुलिस को बताया कि उसके पिता भगवान दास यादव (Bhagwan Das Yadav) की पुश्तैनी कृषि भूमि हैं। यह छह एकड़ भूमि ग्राम सगोनिया में हैं। जिसको हथियाने के लिए पहले भी असफल प्रयास हो चुके हैं। उसने आरोप लगाया है कि धोखाधड़ी में हेमंत अग्रवाल (Hemant Agrawal) की भी भूमिका संदिग्ध हैं। वह खजूरी सड़क थाना क्षेत्र में रहता है। यह सारा फर्जीवाड़ा नायाब तहसीलदार लोकेश चौहान (Lokesh Chauhan) और पटवारी रोहिणी कुशवाहा (Rohini Kushwah) की मौन सहमति से किया गया। आरोप है कि इन दोनों अफसरों ने अपने पद पर रहते उचित पड़ताल ही नहीं की थी।
भूत ने जमीन में आकर कराया एग्रीमेंट
जितेंद्र यादव ने बताया कि पिता को उनके पिता लाल चंद यादव (Lal Chand Yadav) के जरिए वसीयत में यह जमीन मिली थी। पिता भगवान दास यादव की 2022 में मौत हो गई थी। जिसके बाद जितेंद्र यादव इकलौता पुत्र होने के चलते उक्त संपत्ति पर उसका मालिकाना हक हैं। इसके बावजूद जमीन (Bhopal Property Fraud) का कलेक्टर कार्यालय से फर्जी तरीके से नामांतरण किया गया। पीड़ित ने पुलिस को बताया कि हेमंत अग्रवाल ने अक्टूबर, 2010 को फर्जी अनुबंध पत्र बनाया। जिसमें उसके दादा लालचंद यादव के नाम से अनुबंध बताया गया। जमीन को हेमंत अग्रवाल को पांच लाख रुपए लेकर बेचने का करार किया गया। यह अनुबंध नायब तहसीलदार कार्यालय में पेश किया गया था। जबकि पीड़ित के दादा की 11 फरवरी, 1990 को मौत हो चुकी थी। यानि निधन के 20 साल बाद जिस व्यक्ति की मौत हुई उसके नाम से एग्रीमेंट बनाया गया। पीड़ित ने पुलिस को दादा और पिता की मौत होने से संबंधित प्रमाण पत्र भी पेश किए।
इसलिए फंस सकते हैं अफसर
पीड़ित का कहना है कि इस मामले में शारदा बाई (Sharda Bai) नाम की एक महिला की भी संदिग्ध भूमिका है। इसके लिए कूटरचित शपथ पत्र देकर फर्जीवाड़ा किया गया। इसमें भी नायाब तहसीलदार लोकेश चौहान और पटवारी रोहिणी कुशवाहा ने कोई जिम्मेदारी निभाने का काम नहीं किया। दोनों अधिकारियों ने शारदा यादव के नाम पर संपत्ति का नामांतरण कर दिया। दादा लालचंद यादव की पत्नी छुट्टी बाई का पहले ही देहांत हो चुका था। उनकी एक बेटी थी नन्ही बाई। उनके यहां कोई संतान नहीं हुई थी। उसकी भी मौत हो चुकी है। नन्हीं बाई (Nanhi Bai) के देवर तेज सिंह (Tej Singh) ने भी फर्जी दस्तावेज लगाकर जमीन बेचने का प्रयास पहले किया था। उस वक्त जहांगीराबाद थाना पुलिस ने जांच की थी। यह जांच अक्टूबर, 2017 में हुई थी। यह जांच रिपोर्ट भी एसीपी शाहजहांनाबाद को सौंपी गई। कोहेफिजा थाना पुलिस ने प्रकरण 275/25 दर्ज कर लिया है। पुलिस ने अभी आरोपियों के नामों को लेकर स्थिति साफ नहीं की है। पुलिस का कहना है कि जांच के बाद आरोपियों के नाम तय किए जाएंगे।
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