MP Cop Gossip: सीएम की घोषणा के बाद पीएचक्यू में मंथन

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MP Cop Gossip: थानों की सीमाओं में आबादी, अपराधों की संख्या या मौजूदा बल का रखे पैमाना, संदिग्ध कर्मचारी की ऐश लेकिन अफसर का प्रमोशन अटका

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग में बहुत कुछ भीतर ही भीतर चल रहा होता है। कुछ बातें मीडिया के सामने आ जाती है। लेकिन, कई जानकारियां उजागर होते—होते बच जाती है। ऐसे ही बातों का नियमित कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। इसमें उन विषयों को बताया जाता है जो उजागर होते—होते रह गईं।

भोपाल शहर में नए बनेंगे कई थाने

मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव (CM Dr Mohan Yadav) प्रदेश का नक्शा बदलने के अभियान में जुट गए हैं। उन्होंने राजस्व और थानों की सीमाओं का आंकलन करने के लिए बोल दिया है। सबसे ज्यादा मुश्किल पुलिस विभाग की हो रही है। क्योंकि कई जिलों की हालत बल की कमी के चलते बदतर है। वहीं दो शहरों में शुरु किए गए पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली के चलते पर्याप्त साधन आज डेढ़ साल बाद भी पूरे नहीं किए जा सके है। इसके अलावा दो नए शहरों ग्वालियर और जबलपुर में इसे लागू कराने की योजना है। जिसके लिए काफी मैन पॉवर की आवश्यकता होगी। पुलिस विभाग में भर्ती और प्रमोशन का सिस्टम बहुत धीमा हो गया है। जिस कारण मैदानी कर्मचारियों की कमी से लेकर जांच अधिकारी की कमी से पुलिस विभाग जूझ रहा है। वहीं थानों के सीमांकन को लेकर भी पुलिस मुख्यालय परेशान है। क्योंकि भोपाल—इंदौर में अभी जुगाड़ के रास्ते कमिश्नरेट प्रणाली चल रही है। दोनों जिलों के सीपी से लेकर एसीपी कार्यालय में तैनात रीडर से लेकर मुंशी थानों से निकालकर वहां पहुंचाए गए है। जिस कारण थानों में पहले ही दक्ष रीडर और जानकार कर्मचारियों की कमी अब तक पूरी नहीं हो सकी है। वहीं नए सीमांकन के बाद थाने के निर्माण से यह चुनौती बहुत ज्यादा होने वाली है।

आंखों में पट्टी बांधकर मैदानी कर्मचारियों के साथ निर्णय

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भोपाल शहर के एक संभाग के थाने में पिछले दिनों जुआरियों—सटोरियों के गठजोड़ को बेनकाब किया गया था। इसमें जांच में फंसे कई कर्मचारियों को दो नंबर के रास्ते यहां—वहां फिट किया जा चुका है। इस प्रकरण में कई निर्दोष पुलिस अधिकारी भी फंस गए थे। जिन्हें जांच के बाद क्लीनचिट दी गई। लेकिन, एक अधिकारी इन दिनों काफी परेशान चल रहे हैं। क्योंकि जिस कारण वे फंसे थे वह मामला सुलझ गया है। वे एक अधिकारी के पास कई महीनों से चक्कर काट रहे हैं। क्योंकि अफसरों के क्लीनचिट नहीं मिलने के कारण प्रमोशन में नाम एक अफसर का नहीं आ पा रहा है। जबकि इस प्रकरण का एक मुख्य दोषी कर्मचारी मलाईदार पोस्ट पर अधिकारियों के वरदहस्त मिलने पर दूसरे थाने में बैठा हुआ है।

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