MP Cop News: ईएसबी का सतेन्द्र से तो शारीरिक परीक्षा में पुलिस का सोनू से हुआ सामना 

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MP Cop News: मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के कार्यकाल में पहली बार भर्ती घोटाले का जिन्न निकलकर बाहर आया, कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के बाद आंतरिक मूल्यांकन और समीक्षा पुलिस की चयन शाखा ने उजागर किया यूआईडीआई की तकनीकी खामियों का फायदा उठाकर फर्जीवाड़ा करने के तरीके ने इंटेलीजेंस की नींद उड़ाई, प्रदेश के नौ जिलों में एक ही पैटर्न में 22 अभ्यर्थियों ने किया फर्जीवाड़ा, डर के मारे ज्वाइनिंग करने नहीं पहुंच रहे चयनित कांस्टेबल भी निगरानी में आए

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पुलिस मुख्यालय में पत्रकारों को जानकारी देते आईजी इंटेलीजेंस, डीआईजी चयन शाखा बाएं तरफ।

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग की चयन शाखा ने 2023 में हुए कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में किए गए एक बड़े फर्जीवाड़े को पकड़ लिया है। इस तरीके से करीब आधा प्रतिशत लोगों ने पुलिस विभाग की सरकारी नौकरी पा ली थी। गड़बड़ी करने के लिए जालसाजों ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की तकनीकी कमजोरियों का इस्तेमाल किया। इसके संबंध में मध्यप्रदेश पुलिस मुख्यालय (MP Cop News) की इंटेलीजेंस विंग ने यह जानकारी अधिकारियों के साथ साझा कर दी है। पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना (DGP Kailash Makwana) की निगरानी में चल रही इस जांच में अब तक प्रदेश के नौ जिलों में जालसाजी के 22 प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं। यह सभी पुलिस आरक्षक बनने के बाद नौकरी पर लग चुके थे। सर्वाधिक सात मुकदमे मुरैना में तो छह प्रकरण शिवपुरी जिलों में दर्ज किए गए हैं। यह है वे लोग हैं जिनके संबंध में पुख्ता सबूत पुलिस को मिले है। इन आरोपियों की संख्या में इजाफा भी हो सकता है।

इस तरह से पकड़ में आया पूरा फर्जीवाड़ा

पुलिस मुख्यालय (PHQ) सभागार में आईजी इंटेलीजेंस अंशुमान सिंह (IG Intelligence Anshuman Singh) ने इस फर्जीवाड़े के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश पुलिस आरक्षक जीडी के अलावा रेडियो शाखा में रिक्त पदों की पूर्ति के लिए वर्ष 2023 में Online लिखित परीक्षा मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्डल की तरफ से आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में छह लाख, 52 हजार से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया था। यह पहला चरण था। जिसमें लिखित परीक्षा में सफल उम्मीदवार 55,220 अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षा ली गई थी। यह काम पुलिस मुख्यालय की चयन शाखा करती है। जिसके लिए 16 अक्टूबर से 20 नवम्बर के बीच परीक्षाएं आयोजित हुई थी। उस दौरान नवम्बर 2024 में परीक्षा केन्द्र मुरैना में पांच अभ्यर्थियों ने अपने स्थान पर किसी अन्य व्यक्तियों को परीक्षा में शामिल होने भेजा था। जिन्हें संदिग्ध पाते हुए, परीक्षा में शामिल न करके उक्त उम्मीदवारों पर प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था। पुलिस मुख्यालय ने इस तकनीक को गंभीरता से लिया और अंतिम परिणाम जारी होने के बाद सभी सफल अभ्यर्थियों का चरित्र सत्यापन और नियुक्ति प्रक्रिया की दोबारा गुपचुप पड़ताल कराई। जिसके लिए चयन शाखा की तरफ से चयनित होने के बाद जिन इकाईयों में सफल अभ्यर्थियों को भेजा गया था उनकी बायोमेट्रिक और आधार हिस्ट्री की जांच करनेके आदेश 21 अप्रैल, 2025 को जारी हुए थे। यह आदेश एडीजी सोनाली मिश्रा (ADG Sonali Mishra) की तरफ से जारी हुए थे।

यहां इतनी संख्या में किया गया फर्जीवाड़ा

चयन परीक्षा के बाद पुलिस मुख्यालय ने 6423 अभ्यर्थियों को पात्र माना था। इसमें 5090 पुरूष और 1333 महिला थी। ऐसे अभ्यर्थियों पर संदेह के आधार पर इनकी जांच कराई गई। जिसमें इनके हस्ताक्षर नूमना, हस्तलिपि, फिंगर प्रिंट लिये गये। साथ ही परीक्षा के दौरान इनके दिये गये फिंगर प्रिंट, हस्तलिपि के नमूने को दोबारा प्राप्त करके जांच कराई गई। अभ्यर्थियों की वास्तविक लोकेशन के संबंध में तकनीकी रूप से भी जांच कराई गई। जिसमें भिन्नता पाये जाने पर प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्रकरण पंजीबद्ध दर्ज किए गए। आईजी इंटेलीजेंस ने बताया कि अभी तक कुल 21 प्रकरण दर्ज किए जा चुके है। जिसमें 22 अभ्यर्थियों के खिलाफ यह मामले दर्ज हुए है। यह फर्जीवाड़ा मुरैना में सर्वाधिक हुआ। यहां सात अभ्यर्थियों ने जालसाजी की। आईजी ने बताया कि कर्मचारी चयन मंडल की परीक्षा में कोई अन्य बैठा। इसके बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा दूसरे व्यक्ति ने दी थी। यह गड़बड़ी तब उजागर हो सकी जब आधार कार्ड की हिस्ट्री निकाली गई। जांच में पाया गया कि चयनित 22 अभ्यर्थियों ने दोनों परीक्षाओं से पूर्व आधार कार्ड में अपडेशन कराया था। इसी तरह शिवपुरी जिले में आधा दर्जन अ​भ्यर्थियों ने ऐसा करके फर्जीवाड़ा किया। तीसरे नंबर पर श्योपुर जिला रहा। यहां दो अभ्यर्थियों ने फर्जीवाड़ा करके नौकरी हासिल कर ली। इसके अलावा इंदौर, दतिया, ग्वालियर, अलीराजपुर, राजगढ और शहडोल जिले में एक—एक अभ्यर्थी ने यह फर्जीवाड़ा किया।

फर्जीवाड़े में पकड़े जाने के भय से ज्वाइन करने नहीं पहुंच रहे

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एमपी पुलिस मुख्यालय भवन, फ़ाइल फोटो

आईजी अंशुमान सिंह (IG Anshuman Singh) ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा कि एक वेंडर ने दो दर्जन से अधिक बार एक व्यक्ति का आधार कार्ड अपडेशन किया था। जबकि यूआईडीएआई (UIDAI) ने आधार कार्ड बनाने के लिए वेंडर सिस्टम पूर्व से ही बंद कर दिया हैं। इस संबंध में आईजी ने बताया कि इस इनपुट को वे चैक कराएंगे। उन्होंने बताया कि कर्मचारी चयन मंडल का फर्जीवाड़े में कोई भूमिका अभी तक सामने नहीं आई है। सभी बदलाव अलग—अलग जगह किए गए हैं। आईजी ने कांग्रेस की तरफ से सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव (CM Dr Mohan Yadav)  पुलिस मुख्यालय के नवाचार से सहमत हैं। सरकार या पुलिस मुख्यालय को सीबीआई (CBI) को केस सौंपने जैसा महसूस ही नहीं होता। आईजी ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि ऐसे अभ्यर्थी जो चयन होने के बावजूद पकड़े जाने के डर से नौकरी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं वे लोग भी उनकी जांच में शामिल हैं। इस संबंध में चयन शाखा की तरफ से जांच की जा रही है। उल्लेखनीय है कि श्योपुर जिले में सोनू रावत (Sonu Rawat) के स्थान पर सतेंद्र रावत (Satendra Rawat) ने परीक्षा दी थी। जबकि शारीरिक दक्षता परीक्षा में सोनू रावत पहुंचा थ। वह 87 अंक लेकर आने के बावजूद हिंदी नहीं लिख पा रहा था। इसके अलावा अमिताभ रावत (Amitabh Rawat) , श्याम मीणा (Shyam Meena) , गणेश, बिहार के रंजन कुमार को आरोपी बनाया है।

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