Bhopal GRP News: तेरह दिन से लापता अर्चना बनी हुई थी आफत,शादी नहीं करना चाहती थी

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Bhopal GRP News: रेल एसपी ने एक-एक करके खोली परतें, किसी पर भी नहीं लगाए आरोप,शादी का दबाव बनाने पर परिजनों से चल रही थी नाराज,दूसरी आईडी पर जीना चाहती थी जीवन

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पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए भोपाल रेलवे एसपी राहुल कुमार लोढ़ा। File Photo

भोपाल। कटनी में रहने वाली अर्चना तिवारी तेरह दिन बाद पुलिस के हत्थे लग गई। उससे हुई पूछताछ के बाद आधा भारत वह इस दौरान घुमकर आ चुकी थी। पुलिस (Bhopal GRP News) ने युवती को सकुशल बरामद करने के बाद परिजनों के सामने दोनों हाथ पीछे बांध लिए हैं। छात्रा के लापता होने से लेकर बरामद होने तक की कहानी से साफ है कि इस मामले को भोपाल एसआरपी राहुल लोढा ने बहुत ज्यादा गंभीरता से लिया था। उन्होंने अर्चना के जीवन से जुड़े सारे पहलूओं को उजागर करने के बाद दो टूक कहा कि वह शादी नहीं करना चाहती थी। इस कारण आधा दर्जन से अधिक थानो की पुलिस की काफी परीक्षा ली। हालांकि उसके सीखे गए दांवपेंच पुलिस के सामने नहीं चल सके।

मोबाइल कॉल डिटेल से खुली परतें

पुलिस अधीक्षक भोपाल रेल राहुल लोढा (SP Rahul Lodha) ने बताया कि 08 अगस्त को कटनी जीआरपी (Katni GRP) में आकर अंकुश तिवारी (Ankush Tiwari) ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने बताया कि उसकी बहन अर्चना तिवारी (Archna Tiwari) पिता स्वर्गीय शरद नारायण तिवारी उम्र 29 साल लापता है। वह कटनी जिले के रंगनाथ नगर (Rangnath Nagar) थाना क्षेत्र के मंगल नगर की रहने वाली थी। अर्चना तिवारी 07 अगस्त को नर्मदा एक्सप्रेस (Narmada Express) की बी-3 एसी कोच में सवार हुई थी। जांच में पाया गया कि वह रानी कमलापति जीआरपी (Rani Kamlapati GRP) से लापता हुई है। इसलिए केस डायरी कटनी से यहां आई। पुलिस ने छानबीन करते हुए बी-3 कोच की सीट नंबर 03 पर पहुंची तो वहां अर्चना तिवारी का बैग मिला। लेकिन, वह गायब थी। उसी छानबीन की जा रही थी। तभी बुधनी मिडघाट के बीच मोबाइल और उसके कपड़े भी मिले। जिस कारण पुलिस को लगा कि अर्चना तिवारी के साथ कोई अनहोनी हुई है। इसलिए पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए रिजर्वेशन चार्ट से लेकर तमाम मोबाइल (Mobile) कॉल डिटेल खंगाली गई। यह कॉल डिटेल पहले पंद्रह दिन की खंगाली गई थी। जब उसके कपड़े मिले तो मामले में प्रेम प्रसंग का मामला समझकर मोबाइल कॉल डिटेल का दायरा बढ़ाया गया। इस दौरान पता चला कि एक नंबर पर खूब बातें अर्चना तिवारी की होती थी। लेकिन, तीन महीने से कोई संपर्क उस नंबर पर नहीं था। उसी नंबर के साथ-साथ एक अन्य नंबर कॉल पर आया। यहां से सुराग मिलने का सिलसिला शुरु हुआ। जिसके बाद पुलिस सफल हो सकी।

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कंपनी बनाते वक्त हुई मुलाकात के बाद नजदीकियां बढ़ गई

एसपी राहुल लोढा ने बताया कि अर्चना तिवारी ने जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में प्रैक्टिस की थी। इसके बाद वह इंदौर (Indore) में कोटिल्य अकादमी (Kotilya Academy) क्लैट की तैयारी करने आ गई थी। यहां उसकी पहचान जनवरी, 2025 में शुजालपुर (Shujalpur) निवासी 26 वर्षीय सारांश जोगचंद (Saransh Jogchand) के साथ हुई थी। इससे पहले अर्चना तिवारी के परिजन उसको चार-पांच लडक़े दिखा चुके थे। कुछ रिश्तों को उसने ही ठुकरा दिया था। वह सिविल जज बनना चाहती थी। वह एनएसयूआई (NSUI) की तरफ से छात्र नेता भी रही है। इसलिए वह परिजनों के फैसले से सहमत नहीं थी। रक्षाबंधन से वापस इंदौर जाते वक्त परिजनों ने साफ कह दिया था कि उसका रिश्ता एक पटवारी के साथ तय कर दिया गया है। वह पढ़ाई छोड़े और कुछ महीनों में वापस आकर शादी करें। इधर, सारांश जोगचंद भी ड्रोन बनाने वाली कंपनी खड़ा करना चाहता था। उसके नेपाल से लेकर कई अन्य जगहों पर ग्राहक की लिंक वह बना चुका था। अर्चना तिवारी को विधि क्षेत्र का ज्ञान था इसलिए वह उससे मदद ले रही थी।

जीआरपी पकड़ती उससे पहले दिल्ली पुलिस ले गई

अर्चना तिवारी की पहले सारांश जोगचंद से काफी बातें होती थी। वह अचानक बंद हो गई तो पुलिस को शक गया। इसलिए सारांश के मोबाइल को खंगाला गया तो उसमें तेजिन्दर सिंह (Tejinder Singh) का नंबर निकला। यह नंबर अर्चना के मोबाइल (Mobile) कॉल डिटेल में भी कुछ समय तक था। पुलिस ने सारांश को तलाश तो वह इंदौर में ही मिल गया। पुलिस फिर खाली हाथ थी। इसके बाद तेजिन्दर सिंह को तलाशा गया तो पता चला कि उसे दिल्ली (Delhi) पुलिस जालसाजी के एक मामले में उसे उठा ले गई है। जिस दिन उसको हिरासत में लिया गया वह मिडघाट पर था। इससे साफ था कि मिडघाट पर अर्चना के कपड़े भी मिले थे। उसे अहम सुराग मानकर तेजिन्दर सिंह को दबोचा गया। उसने पूरी कहानी पुलिस को बता दी।

कोई कार्रवाई नहीं चाहती है अर्चना

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सांकेतिक चित्र

तेजिन्दर सिंह के सच बताने के बाद सारांश जोगचंद ने भी पुलिस (Bhopal GRP News) की मदद करना चालू कर दिया। उसने बताया कि अर्चना ने उसके दिवंगत पिता के नाम पर सिम ली है। वह उसको चला रही है। जिसके जरिए वह उससे संपर्क में हैं। वह इस वक्त उसके बताए क्लाइंट के पास सुरक्षित हैं। उसको फोन पुलिस ने सारांश से ही लगवाया और उसे नेपाल (Nepal) के काठमांडू (Kathmandu) से लखीमपुर खीरी बार्डर बुलाया। वहां से उसे दिल्ली फ्लाईट से बैठाकर 20 अगस्त की सुबह भोपाल लाया गया। इससे पूर्व एसपी रेल राहुल लोढ़ा उसके मिलने की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए 19 अगस्त की  रात 11 बजे वीडियो (Video)  बयान जारी करके दे चुके थे। युवती से बातचीत के बाद उन्होंने दोपहर एक बजे मीडिया के सामने पूरी कहानी का पटाक्षेप कर दिया। उसने पुलिस को बताया है कि वह अपने आपको मरा घोषित करके अपनी दूसरी पहचान के जरिए अपने सपनों को वह पूरा करना चाहती थी। उसके साथ किसी भी व्यक्ति ने कोई भी गलत या जबरिया काम नहीं किया है। उसने अपने मकसद की सफलता के लिए लोगों से मदद मांगी थी।

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पुलिस कांस्टेबल की भूमिका पर चुप्पी

इस मामले में एसपी राहुल लोढा ने पुलिस कांस्टेबल राम तोमर (Con Ram Tomar) की भूमिका पर चुप्पी साध ली। बताया जा रहा है कि अर्चना शाजापुर से बुरहानपुर फिर वहां से हैदराबाद गई थी। मीडिया में खबर सुर्खियों में आई तो उसे नेपाल शिफ्ट करने की योजना बनाई। उस वक्त बस की टिकट पुलिस कांस्टेबल राम तोमर की आईडी से बनाई गई थी।

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