MP Cop Gossip: नए आईपीएस का यू—ट्यूब देखकर अनूठा प्रयोग

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MP Cop Gossip: कई थाना प्रभारी और थानों में तैनात एसआई नंबर बढ़ाने के लिए लाइन गेम का मौका मानकर योजना को अमल पर लाने टूट पड़े

MP Cop Gossip
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश में पुलिस महकमा बहुत विशाल है। इसमें भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ बातें मीडिया में आने से रह जाती है। उन्हीं चर्चाओं को लेकर हमारा साप्ताहिक एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip)  है। इसमें हम उन बातों को बताते हैं जो चुटीली होती है। इसके जरिए संस्था, व्यक्ति अथवा पद को छोटा—बड़ा बताना नहीं होता है। हमारी हरसंभव यह भी कोशिश होती है कि नाम सार्वजनिक करने से बचा जाए। हालांकि जिस व्यक्ति से यह जुड़ा समाचार होता है उस तक यह बातें पहुंच जाती है। यह हमें पता है जिसके रिस्पांस मिलते हैं। ऐसे ही विषयों को लेकर चुटीली यह कहानियां।

आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है

पिछले दिनों होली त्यौहार को लेकर अलर्ट था। यह रूटीन प्रकिया होती है। पुलिस नियंत्रण कक्ष में मैदानी अधिकारियों को बुलाकर बैसिक बातें बताई जाती है। इसी दौरान चर्चा में ब्री​थ एनालाइजर की कमी का मुद्दा गहराया। दरअसल, राजधानी भोपाल में करीब 150 से अधिक चेकिंग प्वाइंट है। प्रत्येक पाइंट पर ब्रीथ एनालाइजर होना संभव ही नहीं है। क्योंकि भोपाल पुलिस के पास करीब 40 ब्रीथ एनालाइजर रखे हैं। इस कमी को जानकार कई अफसर उसके विकल्प पर चिंतन करने लगे। नतीजा, भारतीय पुलिस सेवा के एक परीवीक्षाधीन अधिकारी ने निकाला। उन्होंने विदेशी धरती पर काम करने वाली वहां की पुलिस का प्रयोग यू—ट्यूब पर देखा। उसे अपने शहर के लिए मुफीद मानते हुए अपने जोन के अधिकारियों को वह प्रयोग करने के आदेश दिए।

क्या टीआई—एसआई होड़ मच गई

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

अब इस वीडियो के अनुसार काम करने का आदेश था। इसलिए साहब के सामने अद्भुत इस काम को पूरा करने में मैदानी अमला जुट गया। करना यह था कि यदि कोई बाइक या कार ड्राइव कर रहा व्यक्ति नशे में हैं अथवा नहीं यह पता कैसे लगाया जाए। इसके लिए तकनीक बताई गई। संदेही व्यक्ति को सड़क पर खींची गई सफेद लाइन, सड़क नहीं हैं तो चूने की लाइन बनाकर उस पर चलने के लिए बोला जाए। यदि वह नशे में नहीं होगा तो सीधे चलेगा और वह नशे की हालत में होगा तो उसके पैर लड़खड़ाएंगें। फिर क्या जोन के सारे अधिकारी (MP Cop Gossip) लगे चूने की लाइन ​खींचकर साहब के बताए फॉर्मूले पर प्रयोग करने लगे। कई वीडियो बनाकर साहब को खुश करने के लिए उन तक पहुंचाए भी गए। हालांकि कुछ इस प्रयोग को हंसी—ठिठोली में यह बताते सुने गए कि जो वीडियो बना रहे थे, उनकी जांच साहब कर ले तो उन्हें कार्रवाई के लिए गूगल बाबा से दूसरा वीडियो सर्च करना पड़ता।

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बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां…

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राजधानी के एक अधिकारी की यह दास्तां आपने जान ही ली होगी। अब तालाब किनारे मुख्यालय के एक अधिकारी के आदेश को जानिए। पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस था। इस बार जनता के बीच इसको कैसे चर्चित बनाया जाए इसको मंथन किया जाने लगा। दरअसल, पिछली बार मुख्यमंत्री की कारकेड व्यवस्था पुरानी हो चली थी। उन्हें देखकर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी वैसा ही प्रयोग कर चुके थे। गृहमंत्री वैष्णो देवी दर्शन करने गए हैं। इसलिए वे प्रयोग के तौर पर नजर नहीं आए। एक साहब ने सुझाव दिया कि विभागों और कार्यालयों में तैनात महिला अधिकारी और कर्मचारी को चालानी कार्रवाई के लिए मैदान पर उतारा जाए। यह आदेश सभी जिलों के अधिकारियों को पीएचक्यू से पहुंचा दिया गया। उसके साइड इफेक्ट थानों और कार्यालयों में दिखने लगे। क्योंकि वे जिन विषयों की जानकार थी उसके लिए पुकारा जाता तो पता चलता वे पीएचक्यू के एक आदेश का मैदान पर पालन कर रही है। फिर क्या मन मसोसकर उस फाइल को उस दिन के लिए कई अफसरों को भूलना पड़ा।

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