Chit Fund Scam: चिटफंड की आड़ में दर्जनों लोगों का लाखों रुपया हड़पकर फरार हुई कंपनी, गुपचुप तरीके से पुलिस ने जालसाजी की दर्ज की एफआईआर

भोपाल। सरकारें दावा करती है कि वह जनता के हित में फैसले लेती हैं। लेकिन, दर्जनों लोगों का पैसा हड़पकर फरार हुई कंपनी के एक मामले में ऐसा नहीं हुआ। हैरानी वाली बात यह है कि यह प्रकरण पिछले 11 साल से कलेक्टर और भोपाल पुलिस के बीच लटका हुआ था। कंपनी ने दर्जनों लोगों का पैसा गबन करने के बाद रातोंरात रफूचक्कर भी हो गई। इस मामले की जांच भोपाल (Chit Fund Scam) शहर की टीटी नगर थाना पुलिस कर रही है। पुलिस को आरोपियों का ठिकाना भी पता चल गया। लेकिन, उनके बयान दर्ज करने के बाद मामले को कई थाना प्रभारी ठंडे बस्ते में डालते रहे। हालांकि पीड़ित परिवार का जब गृह विभाग के प्रमुख सचिव जेएन कंसोटिया से सामना हुआ तो भोपाल पुलिस के अधिकारियों को फटकार लगाई गई। इसके बाद सभी अफसर दौड़—दौड़कर काम करने लगे। लेकिन, गुपचुप तरीके से पांच दिन पहले जालसाजी का प्रकरण दर्ज कर लिया।
यह बोलकर लटकाती रही कंपनी

यह प्रकरण मीडिया से पुलिस ने छुपाया है। मामले की जांच एसआई प्रीतम सिंह (SI Preetam Singh) कर रहे हैं। जालसाजी का प्रकरण दर्ज करने के आदेश तत्कालीन कलेक्टर निशांत बरबड़े (Nishant Barbade) ने दिए थे। इससे पहले उनकी कोर्ट में फ्यूचर गोल्ड इंफ्राबिल्ड इंडिया लिमिटेड (Future Gold Infrabuild India Limited) और पीड़ितों के बीच कई पेशियों में सुनवाई हुई थी। कंपनी ने कलेक्टर को भेजी रिपोर्ट में कहा था कि वह नुकसान में चल रही है। इसलिए वह जल्द ही भुगतान कर देगी। लेकिन, कलेक्टर ने भोपाल पुलिस को प्रकरण दर्ज करने के आदेश 2014 में ही दे दिए थे। इसके बावजूद टीटी नगर (TT Nagar) थाना पुलिस ने कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया। कंपनी का दफ्तर मालवीय नगर (Malviya Nagar) में स्थित लक्की प्लॉजा (Lucky Plaza) में था। इस कंपनी के डायरेक्टर दिनेश सिंह भदौरिया (Dinesh Singh Bhadauriya) , धीरेंद्र सिंह कुशवाह (Dhirendra Singh Kushwah) , सत्येंद्र सिंह (Satyendra Singh) , विनीत कुमार फाल्के (Vineet Kumar Falke) समेत कई अन्य थे। इस संबंध में राजगढ़ (Rajgarh) जिले के तलेन (Talen) में रहने वाले गोविंद प्रसाद अहिरवार (Govind Prasad Ahirwar) पिता स्वर्गीय सुखराम अहिरवार उम्र 57 साल ने शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने जब पहली बार शिकायत की थी तब उनकी उम्र 45 साल थी। गोविंद प्रसाद अहिरवार ने बताया उन्होंने 2012 में करीब साढ़े चार लाख रुपए का निवेश किया था। जब उसके भुगतान की बारी आई तो कंपनी आजकल बोलकर एक साल तक लटकाती रही। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ जालसाजी और मध्यप्रदेश निक्षेपकों के अधिनियम के तहत एफआईआर 566/25 दर्ज की है।
हर थाना प्रभारी बयान दर्ज करके चुप हो जाता
गोविंद प्रसाद अहिरवार ने बताया कि आरोपी दिनेश सिंह भदौरिया का मूल पता दिल्ली (Delhi) में हैं। यहां शाहपुरा स्थित गुलमोहर (Gulmohar) में भी मकान है। टीटी नगर थाने में जब भी कोई थाना प्रभारी आया उसने उन्हें बुलाया। हर बार बयान दर्ज किए फिर आरोपियों के घर भी वह ले गया। वहां परिवार किराएदार बताकर पत्नी, बच्चे अपने पिता से बात करा देते थे। उसके बाद कोई कार्रवाई ही नहीं हुई। हमने इस संबंध में मुख्यमंत्री, गृहमंत्री से लेकर भोपाल पुलिस के तमाम अधिकारियों के पास जाकर शिकायतें भी की थी। गोविंद प्रसाद अहिरवार ने बताया कि उसके जैसे कई अन्य पीड़ितों ने थाने में शिकायत की है। इसके बावजूद थाने के चक्कर काटकर वे परेशान हो गए।
ग्रामीण अंचल के सैकड़ों लोगों को फंसाया

फ्यूचर गोल्ड इंफ्राबिल्ड इंडिया लिमिटेड कंपनी का दफ्तर मालवीय नगर में था। इस कंपनी के डायरेक्टर दिनेश सिंह भदौरिया, धीरेंद्र सिंह कुशवाह, सत्येंद्र सिंह, विनीत कुमार फाल्के समेत कई अन्य हैं। इनमें से कुछ लोगों के सीधे राजनीतिक पार्टी से कनेक्शन थे। आरोपियों ने बकायदा एक नेटवर्क (Chit Fund Scam) तैयार कर रखा था। यह ग्रामीण अंचलों में जाकर लोक—लुभावने सपने दिखाकर भोलेभाले गांव वालों को भोपाल शहर में बुलाता था। फिर मालवीय नगर के दफ्तर में उन्हें पीपीटी के जरिए फायदा मिलने के बारे में सपने दिखाए जाते थे। ऐसा करते वक्त डायरेक्टरों का पूरा बोर्ड ग्रामीणों को झांसा दिलाने के लिए मौजूद रहता था।
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