MP Cop News: डीजीपी की तरफ से 17 जून को जारी आदेश को अंगूठा दिखा रही पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली, दागी और विभागीय जांच से जुड़े अफसरों को मलाईदारों पदों पर बैठा रखा
केस—1
पुलिस कमिशनर की रीडर निरीक्षक सारिका जैन जो विभागीय जांच की कार्रवाई का सामना कर रही हैं। इसके बावजूद उन्हें पुलिस लाइन भेजने का साहस अफसर नहीं कर पा रहे।
क्या है मामला— सारिका जैन जब स्पेशल टास्क फोर्स में तैनात थी तब 200 दिन पुलिस विभाग को बिना सूचना दिए गैरहाजिर रहीं। इस मामले की जांच एसआरपी भोपाल राहुल लोढा के पास चल रही है।
केस—2
भोपाल पुलिस कमिशनर कार्यालय में तैनात ओएम बाबू हेमंत कुमार बर्वे के खिलाफ एमपी के ही एक थाने में प्रकरण दर्ज हैं और यह न्यायालय में विचाराधीन है।
क्या है मामला— हेमंत कुमार बर्वे के खिलाफ विभाग की ही एक महिला अधिकारी ने छेड़छाड़ की एफआईआर दर्ज कराई है।
केस—3
निशातपुरा थाने में तैनात पुलिसकर्मी सुंदर राजपूत पर एक महिला ने पीटने का आरोप लगाया। यह आरोपी 12 जून को लगा जिसमें गुपचुप जांच के बाद उसी थाने में बहाल।
क्या है मामला— सुंदर राजपूत की नौकरी का आधा से ज्यादा समय सिर्फ निशातपुरा थाने में बीता। उनके खिलाफ कई बार शिकायतें हुई और बहाल होकर उसी थाने में तैनात किए गए।
केस—4
मिसरोद थाने में तैनात हवलदार पवन त्रिपाठी आठ साल से पदस्थ। अंगदों की पहली तबादला सूची जारी होने के बावजूद आज तक रवानगी नहीं दी गई।
क्या है मामला: पवन त्रिपाठी के खिलाफ आधा दर्जन से अधिक आरोपों और शिकायतों को लेकर जांच चल रही है।

भोपाल। प्रदेश की राजधानी जहां से सभी जगहों के लिए कार्रवाई करने के लिए आदेश जारी किए जाते हैं वहां किस तरह से पुलिस मुख्यालय (MP Cop News) के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जाती है उसके यह चार सिर्फ नमूने हैं। ऐसे दागी और विभागीय जांच की जद में आए अफसरों और कर्मचारियों की सूची काफी लंबी हैं। इन्हें सख्त तरीके से हटाने और नियमों की गाइड लाइन बनाकर बकायदा पुलिस मुख्यालय (PHQ) की तरफ से जून के तीसरे सप्ताह में आदेश भी जारी किया गया था। इस आदेश के बाद अब तक भोपाल पुलिस कमिश्नरेट दो बार थानों से हटाने के आदेश जारी कर चुका है। उसके बावजूद राजधानी के मौजूदा हालात बता रहे हैं कि अफसरों की नजर से भाई—भतीजावाद जमकर अभी भी चल रहा है।
गुपचुप तरीके से थानों में लिया जा रहा है काम
राजधानी के कोलार रोड (Kolar Road) थाने में तबादलों की आड़ में लाल फीताशाही जारी है। यहां दागी कर्मचारियों को बुलाकर अपात्र होने के बावजूद काम सौंप दिया गया है। इसमें कुछ कर्मचारी तो विभागीय जांच की जद में हैं। इसी तरह क्राइम ब्रांच (Crime Branch) के कई कर्मचारी अभी भी गुपचुप तरीके से विभागीय सेवाएं दे रहे हैं। इसी तरह चूना भट्टी (Chuna Bhatti) थाने से एक कर्मचारी का एसीपी कार्यालय (ACP Office) तबादला किया गया। वे कार्यालय में कम और थाने में ज्यादा समय आज भी बिता रहे हैं। इसी तरह एएसआई दिनेश खजुरिया (ASI Dinesh Khajuria) जिनका अशोका गार्डन (Ashoka Garden) तबादला किया गया वे तत्कालीन निरीक्षक मनीष राज भदौरिया (TI Manish Raj Bhadauriya) के साथ प्रकरण में फंसे हुए हैं। भदौरिया को थाने से लाइन पहुंचा दिया गया लेकिन खजुरिया पर विभाग की मेहरबानी बनी हुई है। इसी तरह कमला नगर (Kamla Nagar) थाने में तैनात हवलदार उपेंद्र राजावत (HC Upendra Rajawat) का तबादले की पहली सूची में बागसेवनिया (Bagsewania) भेज दिया गया था। लेकिन, आज की तारीख तक अफसरों ने उन्हें रिलीव ही नहीं किया। ऐसे ही कई अन्य विभागीय और दागी कर्मचारियों को भोपाल पुलिस कमिश्नरेट (Bhopal Police Commissionerate) के अफसर हटाना ही नहीं चाह रहे।
महिला अधिकारियों की कमी पर चुप्पी

राजधानी में महिला सब इंस्पेक्टर की भारी कमी है। यह कमी विभागीय अफसरों की अनदेखी के कारण ज्यादा है। दरअसल, जीडी में भर्ती होने वाली कई महिला अधिकारी फील्ड की पोस्टिंग नहीं चाहती। इसलिए थानों की बजाय अफसरों के दफ्तर में गुपचुप तरीके से अटैच है। फेरबदल में कई महिला अधिकारियों को दूसरे जोन भी नहीं भेजा गया। क्योंकि हर जोन महिला अधिकारियों की कमी से जूझ रहा है।
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