Cyber Security Workshop: यदि आप सायबर फ्रॉड में फंसे हैं तो लिन और लेयर की शब्दावली को जान लीजिए नहीं तो माथा पीटते रहेंगें, पहले आओ और पहले पाओ के बावजूद सिर्फ दो प्रतिशत रिफंड सायबर क्राइम के पीड़ितों को मिल सका

भोपाल। पीआइबी की तरफ से टियर टू और टियर थ्री सिटी में कई वर्कशॉप की जाती रही हैं। इसी तारतम्य में रिमोट डिस्ट्रिक्ट में जब हम पहुंचे तो प्रदेश की ज्वलंत समस्या चिन्हित हुई। इसलिए हमें लगा कि इस मुद्दे पर वार्तालाप करने की आवश्यकता है। यह विचार अपर महानिदेशक प्रशांत पाठराबे ने स्वागत भाषण में दिया। वे अरेरा कॉलोनी स्थित शुभ इन होटल (Shubh Inn Hotel) के सभागार में एक दिवसीय साइबर सुरक्षा (Cyber Security Workshop) पर आधारित मीडिया वर्कशॉप में बोल रहे थे। उन्होंने टाईम्स आफ इंडिया की एक रिपोर्ट को उजागर करते हुए मध्यप्रदेश राज्य सायबर मुख्यालय से आए पुलिस अधिकारियों और वित्तीय लेन—देन में सुरक्षा को लेकर बैंकिंग सेक्टर के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया था। इन सभी मुख्य वक्ताओं ने सायबर ट्रेंड और टेंशन को लेकर बहुत सारी जानकारियां मीडिया को दी। लेकिन, मीडिया की तरफ से प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में सवाल पूछे गए तो अधिकारियों ने पसीने पोंछ लिए। आम नागरिकों से जुड़ी सूचनाओं पर यह विषय आपको बहुत काम आने वाला है। इसलिए इस समाचार को पूरा पढ़ने की आवश्यकता है।
मीडिया को लगा कुछ नया मिलेगा, आखिर में उबने लगे
पुलिस विभाग (Police Department) की तरफ से सहायक पुलिस महानिरीक्षक सारिका शुक्ला (AIG Sarika Shukla) मुख्य अतिथि थी। लेकिन, वे पत्र सूचना कार्यालय (PIB) को आभार देते हुए आयोजन की सफलता की शुभकामनाएं देकर अपने सहयोगियों को प्रशिक्षण सत्र सौंपकर वे कार्यक्रम से कुछ देर बाद ही चलीं गईं। हालांकि जाने से पहले उन्होंने कुछ बातें बोली। उन्होंने कहा कि जो बोलता है कि उसे पता है कि सायबर फ्रॉड (Cyber Fraud) से कैसे बचना हैं वह ही डिजीटल अरेस्ट हो रहा है। इनमें सर्वाधिक पेशेवर नौकरी वाले लोग हैं। जिसमें डॉक्टर, इंजीनियर और मैनेजर भी शामिल है। आजकल पूरी दिनचर्या इंटरनेट पर निर्भर हो चुकी है। इसलिए हमें सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इसके बाद भारत सरकार की तरफ से सायबर कमांडों बनाए गए सब इंस्पेक्टर अनुज समाधिया (Anuj Samadhiya) ने माईक संभाला। उन्होंने आते साथ पहले डराया। सायबर क्राइम (Cyber Crime) के शिकार दो ही लोग होते हैं सबसे पहले यूथ और दूसरे नंबर पर सीनियर सिटीजन। इसके शिकार हर पढ़ा—लिखा वर्ग ही होता है। उन्होंने सायबर स्लेबरी जिसमें युवा ज्यादा टारगेट हो रहे हैं उसके बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यूथ को टेलीग्राम समेत अन्य सोशल साइट के जरिए हैंडसम सैलरी का आफर दिया जाता है। फिर टूरिस्ट कंट्री में बुलाकर कॉल सेंटर में बैठा दिया जाता है। जिनका काम सिर्फ टारगेट को ट्रैप करना होता है। जॉब करने वाली गर्ल है तो उसे ब्यॉयज को डेटिंग एप/शेयर ट्रेडिंग जैसे तरीकों से घेराबंदी करके अपना कमीशन और सैलरी फिक्स कर लेते हैं। ऐसे कई युवाओं को भारतीय सरकार ने विदेशों से निकालकर घर वापसी भी कराई है।
बच्चे है सोचकर अनसुना करना मतलब मुसीबत को गले लगाना
अनुज समाधिया ने बताया सायबर फ्रॉड (Cyber Security Workshop) तीन ही दशाओं में हो सकता है। सबसे पहला डर यदि आपको किसी बात का भय हैं तो उसका फायदा सायबर फ्रॉड में उठा लिया जाता है। इसमें डिजीटल अरेस्ट (Digital Arrest) , हनी ट्रैप या ड्रग्स मिलने जैसी धमकियां सामान्य हैं। दूसरा तब आप फंसते हैं जब आपके मन में लालच आता है। यह लालच के लिए जाल भी सोशल साइट पर फेंके जाते हैं। जिसमें कौन बनेगा करोड़पति में भाग लेना, लॉटरी निकलना, अच्छे जॉब का लालच। तीसरा व्यक्ति का आलस उसे सायबर फ्रॉड में डाल देता है। यदि आपको बिजली का बिल नहीं भरने पर शाम तक उसे काटने की धमकी दी जाती है। आपको कहा जाता है कि लाइन से बचना हैं तो लिंक पर क्लिक कर दो। इसके बाद ऐसा करके आप अपने खाते की मास्टर चाबी जालसाजों को सौंप देते हैं। समाधिया ने बताया कि आपको कोई जागरुक नहीं कर सकता सिर्फ एक ही व्यक्ति बचा सकता है वह आपके घर के बच्चे। हमारी शिक्षा व्यवस्था में तकनीक से वे काफी निकट हैं और जुड़े होने के साथ—साथ काफी एक्टिव भी होते हैं। इसलिए मैं बड़ा हूं छोटा क्या ज्ञान देकर अपने घमंड को किनारे रखकर बच्चों से मदद मांगिए। किसी भी संकट की कोई भी परछाई आपको टच नहीं कर सकेगी। समाधिया ने मीडिया से आग्रह करते हुए जनता को चेतावनी और सतर्क रहने की पहल पर चिंता जताई। उन्होंने कहा एआई आने वाले समय में वरदान के साथ—साथ अभिशाप भी होगा। उन्होंने हाल ही में अर्चना तिवारी (Archna Tiwari) के अपहरण की कहानी पर फर्जी एसआरपी राहुल लोढा की बाइट मीडिया ग्रुप में चलने को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा मीडिया से जुड़े हर व्यक्ति को कोई भी लिंक बिना सोचे समझे शेयर नहीं करना चाहिए। एसपी की बाईट एआई जनरेट थी और वह फर्जी भी थी।
कंप्यूटर चला रहे हैं तो यह भी जान लो
समाधिया के जाने के बाद मंच बैकिंग सेक्टर की चुनौतियों को लेकर अरूण पोनप्पन (Arun Ponnappan) को सौंपा गया। वे सेंट्रल बैंक की तरफ से वहां पहुंचे थे। उन्होंने फिशिंग मेल (Fishing Mail) के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा बैंक और लेन—देन से संबंधित यूआरएल को सही तरीके से जानकर उसमें काम करने की तकनीक बताई। उन्होंने मेल के भीतर अटैच फाइल की जगह मेलवेयर जिसके जरिए कंप्यूटर और मोबाइल हैक किए जा सकते हैं उसके बारे में बताया। उन्होंने कहा कुछ भी काम करो लेकिन अपने उपकरणों को समय—समय पर अपडेट करते रहो। उन्होंने दो तरह से पासवर्ड प्रोटेक्ट करने की तकनीक बताई। इसके अलावा क्रेडिट—डेबिट कार्ड में स्कीमिंग डिवाइस के बारे में बताया। इसके अलावा राज्य सायबर मुख्यालय (Cyber Security Workshop) से कांस्टेबल अतुल श्रीवास्तव (Atul Shrivastav) ने की लॉगर मेलवेयर से सावधान रहना चाहिए। यह पैन ड्राइव में भी हो सकता है। यह पता करने के लिए कंप्यूटर की तीन बटन कंट्रोल, आल्ट और डिलीट की बटन को एक साथ प्रेस करने के बाद आप्शन सामने आएंगे। इसमें एंड टास्क में जाकर राइट क्लिक करने के बाद की लॉकर मेलवेयर से बच सकते हैं। उन्होंने डेटा चुराने और उसको बचाने से संबंधित पासवर्ड बनाकर सुरक्षित करने की तकनीक भी बताई।
सवाल—जवाब में कुछ देर मजा भी आया
कार्यक्रम का सर्वाधिक रोमांचक क्षण तब हुआ जब माइक पत्रकारों को थमाया गया। एक पत्रकार ने सवाल पूछ लिया कि लेयर 1234567 क्या होता है। इस पर जवाब देते हुए समाधिया ने बताया कि सायबर फ्रॉड से संबंधित वह बैंक खाते जिनमें पैसा ट्रांसफर हुआ जिसमें पहले और जहां आखिरी तक पहुंचा उसको चिन्हित करने की तकनीक को लेयर या लिन अकाउंट बोलते हैं। ऐसे खातों में पीड़ित की रकम जब तक वापस नहीं होती उतनी रकम बैंक आपको निकालने नहीं देता। उसके लिए कोर्ट से ही अनुमति ली जा सकती है। इसके बाद पत्रकारों ने जब पुलिस अधिकारियों से पूछा कि आप कैसे किसी विषय को मिटाने या हटाने की कार्रवाई कर सकते हैं जबकि सभी डेटा तो भारत छोड़ दूसरे देशों में स्टोर होते हैं। इस पर अधिकारियों ने बताया कि उनके नोडल अधिकारियों से पत्राचार करके ऐसा किया जाता है।
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