MP Cop Gossip: कांस्टेबल को स्वर्ण आभूषण से पूछताछ करना भारी पड़ा

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MP Cop Gossip: विवेचना छोड़िए ‘मां’ की तिमारदारी से जरुर तरक्की मिलना तय, टीआई ने रिकवरी करने के लिए विचित्र फॉर्मूला निकाला

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग के भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। इसमें कुछ बातें सामने आ जाती है तो बहुत कुछ फाइलों में दबी रह जाती है। ऐसे ही बातों का साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। हमारा मकसद किसी व्यवस्था, व्यक्ति अथवा पद को लेकर कोई अतिश्योक्तिपूर्ण बातें लिखना नहीं हैं। हम बस यह बताने का प्रयास करते हैं कि बातें छुपती नहीं हैं। इसलिए व्यवस्था में बहुत ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए स्वच्छ छवि भी जरुरी है। इस बार ऐसे ही बातों का नियमित खुलासा।

चार कांस्टेबल पर गिरी गाज

नर्मदापुरम (Narmadapuram) जिला जिसका पुराना नाम होशंगाबाद था वहां से एक चर्चित मामला सामने आया है। यहां तैनात एसपी डॉक्टर गुरुकरण सिंह (SP Dr Gurukaran Singh) ने चार पुलिस कांस्टेबल को लाइन हाजिर कर दिया। इस मामले की जांच पहले एसडीओपी पराग सैनी (SDOP Parag Saini) को सौंपी गई थी। लेकिन उनका तबादला होने के कारण अब यह जांच वहां तैनात हुए जितेंद्र पाठक (Jitendra Pathak) को मिली है। घटनाक्रम कुछ ऐसा है कि पुष्पक लॉज (Pushpak Laj) में दिल्ली के कारोबारी रवींद्र वर्मा (Ravindra Verma) ठहरे थे। उन्हें पूछताछ के लिए बनखेड़ी थाने के दो कांस्टेबल आरक्षक रामेश्वर उईके (Rameshwar Uikey) और गौरव तिवारी Gaurav Tiwari, कोतवाली थाने के आरक्षक विपिन ठाकुर (Vipin Thakur) और सायबर क्राइम के आरक्षक अभिषेक ले गए। इसकी जानकारी उन्होंने आला अधिकारियों को नहीं दी थी। रवींद्र वर्मा स्वर्ण आभूषण बेचने का काम करते हैं। पूछताछ के पीछे मंशा साफ थी कि चारों कांस्टेबल कुछ अन्य ही चाहत रखते थे। यह मामला आला अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद एसपी के पास पहुंचा था। बहरहाल जांच के बाद इस मामले में पूरा घटनाक्रम का खुलासा जरुर ही होगा।

केयर टेकर की जगह चार कांस्टेबल की लगा दी ड्यूटी

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यह भोपाल शहर के एक अधिकारी के घर की कहानी है। अधिकारी की वयोवृद्ध मां बीमार चल रही है। जिनकी देखरेख के लिए उन्होंने अलग—अलग थानों में तैनात चार पुलिस कांस्टेबल को तैनात कर लिया गया। यह चारों कर्मचारी इन दिनों एक ‘पॉवरफूल’ अधिकारी के बंगले पर काम करने को मजबूर हैं। चारों कर्मचारी को मालूम है कि वे विरोध करेंगे तो उनके साथ क्या होगा। इसलिए चुपचाप बैठकर अफसर की वयोवृद्धा मां की सेवा में जुटे हैं। कर्मचारियों का तर्क है कि यदि वृद्धा की सेवा करने से ही उन्हें कोई प्रतिकूल फल मिल जाए और अच्छे थाने में उन्हें तैनाती का अवसर मिल जाए। लेकिन, ‘अंगद’ के फेरबदल को लेकर इन चारों कर्मचारियों की आड़ लेकर अफसरों की पोल खोली जा रही है।

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जब टीआई ने इंटरव्यू मोबाइल में रिकॉर्ड किया

पिछले दिनों एक थाना क्षेत्र में लाखों रुपए की चोरी हुई थी। जब वारदात हुई तब कोई भी अधिकारी कीमत का खुलासा ही नहीं कर पा रहा था। अब चोर पकड़े तो वाहवाही लूटने के लिए हर​ अधिकारी उसमें कूदने लगा। मीडिया से पूरा घटनाक्रम बताया जाता उससे पहले एक अंदर की बात लीक हो गई। पता चला कि जितना माल लूटा उससे कम रिकवर किया गया। यह बात फैलती तो पुलिस अपने बचाव में आ गई। एक थाने के प्रभारी को ब​कायदा इस काम के लिए तैनात किया गया। उन्होंने जिस मकान में चोरी हुई थी उसके रिश्तेदार को बुलाया। उनसे मोबाइल पर चोरी गया माल के संबंध में पूछा और उसे रिकॉर्ड कर लिया। मामले को समझने के लिए एक जानकारी और देना चाहते हैं। पत्रकारों को खुलासे के लिए जो समय दिया था उसके डेढ़ घंटे बाद आरोपी और माल के संबंध में आधिकारिक जानकारी मीडिया को बताई गई।

कंप्यूटर की कोडिंग को भी मात देती थाने की अल्गोरिदम

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मध्यप्रदेश ब्यूरोक्रेसी में हर नेता से लेकर अधिकारी के बीच एक कॉमन कोडवर्ड है। हर नोटशीट में यह कोडिंग पाई जाती है। जिस नोटशीट में ‘एक्स’ लिखा हो तो समझ जाइए की मामले का समाधान तत्काल होना है। यदि ‘वाय’ लिखा है तो देख लो करना है। इसी तरह ‘जेड’ यदि लिखा है तो ध्यान नहीं देना है। इसके अलावा चौथा साइन ‘एक्स वन’ लिखा है तो भैया तुरंत सारे काम छोड़कर उसकी रिपोर्ट तुरंत जहां से नोटशीट चली है वहां जानकारी देना है। यह कल्चर ब्यूरोक्रेसी में है लेकिन राजधानी केे एक थाने में गजब ही कल्चर चल पड़ा है। यहां के प्रभारी महोदय ने भी साइन लैग्वेज तय कर रखी है। वह कागज थाने की मुंशी तक पहुंचता है तो उसे पहले ही पता होता है कि वह जांच किस अधिकारी को सौंपी जानी है। फिर वह जांच अधिकारी अपना निजी और चुनिंदा मुखबिर के जरिए अपने मेहनताने का खुलासा करता है।

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विशेष अनुरोध: अगले गुरुवार भोपाल शहर के हर थाने और पुलिस अफसरों के यहां तैनात कर्मचारियों के तबादलों की विशेष जानकारी के साथ सूक्ष्म जानकारी

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