MP Cop Gossip: विवेचना छोड़िए ‘मां’ की तिमारदारी से जरुर तरक्की मिलना तय, टीआई ने रिकवरी करने के लिए विचित्र फॉर्मूला निकाला

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग के भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। इसमें कुछ बातें सामने आ जाती है तो बहुत कुछ फाइलों में दबी रह जाती है। ऐसे ही बातों का साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। हमारा मकसद किसी व्यवस्था, व्यक्ति अथवा पद को लेकर कोई अतिश्योक्तिपूर्ण बातें लिखना नहीं हैं। हम बस यह बताने का प्रयास करते हैं कि बातें छुपती नहीं हैं। इसलिए व्यवस्था में बहुत ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए स्वच्छ छवि भी जरुरी है। इस बार ऐसे ही बातों का नियमित खुलासा।
चार कांस्टेबल पर गिरी गाज
केयर टेकर की जगह चार कांस्टेबल की लगा दी ड्यूटी

यह भोपाल शहर के एक अधिकारी के घर की कहानी है। अधिकारी की वयोवृद्ध मां बीमार चल रही है। जिनकी देखरेख के लिए उन्होंने अलग—अलग थानों में तैनात चार पुलिस कांस्टेबल को तैनात कर लिया गया। यह चारों कर्मचारी इन दिनों एक ‘पॉवरफूल’ अधिकारी के बंगले पर काम करने को मजबूर हैं। चारों कर्मचारी को मालूम है कि वे विरोध करेंगे तो उनके साथ क्या होगा। इसलिए चुपचाप बैठकर अफसर की वयोवृद्धा मां की सेवा में जुटे हैं। कर्मचारियों का तर्क है कि यदि वृद्धा की सेवा करने से ही उन्हें कोई प्रतिकूल फल मिल जाए और अच्छे थाने में उन्हें तैनाती का अवसर मिल जाए। लेकिन, ‘अंगद’ के फेरबदल को लेकर इन चारों कर्मचारियों की आड़ लेकर अफसरों की पोल खोली जा रही है।
जब टीआई ने इंटरव्यू मोबाइल में रिकॉर्ड किया
कंप्यूटर की कोडिंग को भी मात देती थाने की अल्गोरिदम

मध्यप्रदेश ब्यूरोक्रेसी में हर नेता से लेकर अधिकारी के बीच एक कॉमन कोडवर्ड है। हर नोटशीट में यह कोडिंग पाई जाती है। जिस नोटशीट में ‘एक्स’ लिखा हो तो समझ जाइए की मामले का समाधान तत्काल होना है। यदि ‘वाय’ लिखा है तो देख लो करना है। इसी तरह ‘जेड’ यदि लिखा है तो ध्यान नहीं देना है। इसके अलावा चौथा साइन ‘एक्स वन’ लिखा है तो भैया तुरंत सारे काम छोड़कर उसकी रिपोर्ट तुरंत जहां से नोटशीट चली है वहां जानकारी देना है। यह कल्चर ब्यूरोक्रेसी में है लेकिन राजधानी केे एक थाने में गजब ही कल्चर चल पड़ा है। यहां के प्रभारी महोदय ने भी साइन लैग्वेज तय कर रखी है। वह कागज थाने की मुंशी तक पहुंचता है तो उसे पहले ही पता होता है कि वह जांच किस अधिकारी को सौंपी जानी है। फिर वह जांच अधिकारी अपना निजी और चुनिंदा मुखबिर के जरिए अपने मेहनताने का खुलासा करता है।
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