MP Cop Gossip: गैंगरेप मामले के लापरवाह थानेदार को सरकार ने चिढ़ाने तैनात कर दिया 

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MP Cop Gossip: आर्थिक घोटाले का बचा हुआ ‘प्रेम’ पार्टियों के बहाने मामले को कर रहा सैटल

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। पुलिस विभाग काफी बड़ा होता है। इसमें भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ बातें सामने आती हैं तो बहुत सी बातें दबी रह जाती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि वे बातें लोगों को मालूम न हो। बस सबूतों के अभाव में वह जुबां में दब जाती है। कुछ ऐसे ही बातों का हमारा साप्ताहिक काॅलम एमपी काॅप गाॅसिप (MP Cop Gossip) है। हमारा मकसद किसी व्यक्ति, संस्था को छोटा-बड़ा दिखाना नहीं होता। हम बस उन छुपी बातों के बहाने यह बताने का प्रयास करते हैं कि कानों में बताई जा रही बातें अगर सबूत में बदली तो वह बड़ा समाचार भविष्य में जरूर बनेगी।

अवधपुरी में चोरों का आतंक

अवधपुरी इलाके में लगभग एक महीने से शातिर चोर काफी सक्रिय हैं। यहां एक सप्ताह में आधा दर्जन से अधिक चोरियां हो चुकी है। जिनको थाने ने (MP Cop Gossip) अभी तक रिकाॅर्ड में नहीं लिया। जबकि कई काॅलोनियों के रहवासी एक-दूसरे को संदिग्धों के गतिविधियों जैसे ताला तोड़ने का प्रयास जैसे फुटेज एक-दूसरे को बांट रहे हैं। यहां एक मंदिर की दानपेटी से भी माल चोरी चला गया। जिसकी रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की गई। इसके अलावा एक मंदिर के भीतर रखा लोहे का सामान चोर ले गए। मंदिर के नजदीक पानी की गुमठी में भी चोरी हुई। जिसकी एफआईआर ही दर्ज नहीं की गई। यह घटनाएं जहां हो रही है वहां से बायपास महज दो किलोमीटर दूर है। इसके बावजूद इलाके में पूर्व की तरह होने वाली पेट्रोलिंग शून्य हो गई है। इन समस्याओं पर अफसरों का ध्यान अभी तक नहीं गया है। क्योंकि बड़ी आफत अभी सिर नहीं आई है।

गैंगरेप पीड़ित परिवार की व्यथा

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राजधानी में पांच साल पहले मध्यप्रदेश की स्थापना दिवस से पूर्व एक गैंगरेप की काफी गंभीर घटना हुई थी। पीड़िता की रिपोर्ट तीन थानों ने दर्ज नहीं की थी। जब यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आया तो एक-एक करके सात अधिकारियों को निपटा दिया गया। इस मामले के सारे आरोपी दोषी करार देकर जेल दाखिल है। प्रकरण ठंडा होने के बाद सरकार ने उन लापरवाह अफसरों जिन पर गाज गिराई थी उन्हें रियायत देने का काम शुरू कर दिया है। इन्हीं अफसरों में से एक अफसर हबीबगंज जीआरपी में तैनात था। जिसे अब भोपाल जीआरपी में तैनात कर दिया गया है। यह अफसर पीड़ित परिवार को रेलवे स्टेशन पर टकराता है। दरअसल, पीड़िता के पिता रेलवे में तो मां पुलिस विभाग में तैनात हैं। जिन्हें सरकारी काम से भोपाल रेलवे स्टेशन आना-जाना होता है। जिस अफसर को वापस बहाल करके बसाया गया है वह पीड़ित परिवार को इशारों ही इशारों में यह जताता है कि उसका सिस्टम कुछ नहीं बिगाड़ सका।

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बहुत प्रेम है तभी सिस्टम चुप है

राजधानी की एक बड़ी जांच एजेंसी ने करीब छह महीने पहले लोन घोटाले की एक एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें बैंक मैनेजर के अलावा पति-पत्नी को आरोपी बनाया गया था। इसी मामले में शहर के एक बड़े कारोबारी को जांच एजेंसी के अफसरों ने बहुत ज्यादा प्रेम दिखाकर बचा लिया। खबर है (MP Cop Gossip) कि यह प्रेम पाने वाले व्यक्ति अब डैमेज कंट्रोल में फिर जुट गए हैं। उन्होंने पिछले दिनों एक बैंक के अधिकारियों और एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े संगठन के कुछ प्रमुखों को पार्टी दी। इस पार्टी में बहुत कुछ तय किया गया। रियायत के साथ नई डील और प्रेम पाने वाले व्यक्ति ने नई योजना से रूबरू कराते हुए दूसरे लोन मंें सैटल करने का गणित निकाल लिया है। यह कारोबारी वे ही जिनके कारखाने में दो बार संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग चुकी है। इन महोदय के दो बड़े-बड़े कारखाने है जिसके नाम पर करोड़ों रूपए का लोन राजधानी की कई बैंकों ने बांट दिए हैं।

माफिया के बहाने थानेदार ने आशियाना पाया

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पिछले दिनों एक नहर किनारे बने थाने के एक अधिकारी ने अपना आशियाना वापस पा लिया। हालांकि ऐसा करने के लिए वे काफी लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। दरअसल, अधिकारी के पास आशियाना दबाकर रखने वाले भूमाफिया की एक शिकायत जांच के लिए आ गई थी। जिस पर शिकंजा कसने के लिए अधिकारी ने तमाम मंत्र अफसरों को फूंककर जांच शुरू कर दी। हालांकि यह बात अलग है कि उस मामले को अधिकारी ने इस्तगासा में निपटाकर उसको किनारे लगा दिया। जिसने शिकायत की अब वह एसडीएम कोर्ट के चक्कर काट रहा है।

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