35 साल पहले किया था घोटाला, आरोप सिद्ध हुए तब तक हो चुकी थी मौत

Share

सोसायटी ने नक्शे में दिखाया कुछ और बनाया कुछ, बाहरी सदस्यों को भी बेच दिया था प्लॉट

भोपाल। सोसायटी में दो दशक तक हुई बंदरबाट के मामले में ईओडब्ल्यू में दर्ज प्रकरण में जांच चल रही है। मामला हाऊसिंग सोसायटी से जुड़ा है। सोसायटी ने नक्शे में कुछ दिखाया था और बनाया कुछ था। इसमें बाहरी सदस्यों को भी प्लॉट काटकर बेच दिए गए थे।

दस साल बाद एफआईआर
जानकारी के अनुसार इस मामले की शिकायत तुलसी नगर निवासी महेश कुमार आगाल, फाइन एवेन्यू कोलार निवासी संध्या राय समेत अन्य लोगों ने की थी। यह सभी शिल्पी गृह निर्माण सहकारी समिति के सदस्य भी थे। शिकायत मई, 2008 में हुई थी। जिसकी जांच के बाद जनवरी, 2019 में ईओडब्ल्यू ने मामला दर्ज किया था।

४४ प्लॉट अतिरिक्त बनाए
जांच में यह पता चला कि समिति ने 1984 और 1986 में अलग-अलग भूमि खरीदी थी। बंजारी में 11.79 एकड़ और अकबरपुर में 5 एकड़ भूमि खरीदी थी। उस वक्त संचालक मंडल में अध्यक्ष हयात उल्ला प्रेमी, उपाध्यक्ष रामेश्वर दयाल शर्मा, सदस्य डॉक्टर एसएन पांडे, शब्बीर हुसैन, मोहम्मद उस्मान, डॉक्टर सतीश कुमार सक्सेना और बशीर बी थे। बशीर बी ने 1986 में इस्तीफा दिया जिसके बाद स्नेहलता सक्सेना को सदस्य चुना गया। बंजारी की जमीन पर 164 प्लॉट की अनुमति ली गई। इसी तरह अकबरपुर की जमीन पर 90 प्लॉट काटे गए। लेकिन, बंजारी वाली जमीन में प्लॉट को 208 में तब्दील कर दिया गया। प्लॉट बढ़ाने की अनुमति विधिवत नहीं ली गई।

यह भी पढ़ें : आखिर जेल में क्यों मचा हुआ है घमासान

यह भी पढ़ें:   Bhopal Crime: पति ने शराब पिया तो महिला के इशारों पर नाची पुलिस

33 प्लॉट 70 लोगों को बेचे गए
जांच में पाया गया कि संचालक मंडल ने विकास राशि जमा नहीं करने वालों को समिति से हटा दिया। लेकिन, उनके भूखंड और सदस्यता निरस्त नहीं की। इसलिए एक ही प्लॉट दो से तीन लोगों को बेच दिए गए। जिन्हें यह प्लॉट बेचे उसमें प्रकाश चंद्र तिवारी और रमेश कुमार के नाम पर एक ही प्लॉट सामने आया।

विकास राशि हड़पी
जांच में यह पता चला कि विकास राशि जो जमा कराई गई उसका गलत इस्तेमाल किया गया। विकास राशि कहां खर्च हुई इसका ब्यौरा नहीं दिया गया। जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन संचालक सदस्य डॉक्टर एसएन पांडे, सदस्य शब्बीर हुसैन, डॉक्टर सतीश कुमार सक्सेना, स्नेहलता सक्सेना के खिलाफ मामला दर्ज किया। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन पदाधिकारी हयात उल्ला, रामेश्वर दयाल शर्मा, मोहम्मद उस्मान को भी दोषी पाया। हालांकि तीनों की मौत होने के चलते ईओडब्ल्यू ने इनको आरोपी नहीं बनाया।

Don`t copy text!