बैंक अफसर बनकर ठगने वाला फरार जालसाज गिरफ्तार

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ओटीपी पूछकर करता था धोखाधड़ी, दूसरे राज्यों से लेता था सिम

भोपाल। बैंक अधिकारी बनकर लोगों से एटीएम व ओटीपी नंबर पूछकर आनलाइन शॉपिंग कर ठगी करने वाले राष्ट्रीय स्तर के शातिर ठग को सायबर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी ने देशभर में ठगी की कई वारदातों को अंजाम देकर करोड़ों रूपए की धोखाधड़ी की है। वह झारखंड में अपने रिश्तेदारों व बेरोजगार युवक-युवतियों को ठगी की ट्रेनिंग देकर अपना गिरोह चला रहा था। इससे पहले सायबर पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर चुकी है।
साइबर थाना प्रभारी लोकपाल सिंह भदौरिया के मुताबिक वर्ष 2015, 2018 में ओटीपी नंबर पूछकर आनलाइन ठगी के मामले दर्ज हुए थे। इन मामलों में पुलिस ने झारखंड के गिरोह का भंड़ाफोड़ कर आरोपी रमेश कुमार मंडल, प्रकाश कुमार मंडल, अजीत कुमार मंडल, ज्योतिष कुमार मंडल, संतोष कुमार यादव एवं चंदन कुमार मंडल को पूर्व में गिरफ्तार किया था, लेकिन गिरोह का सरगना ग्राम बूड़ीकुरवा जिला दुमका झारखंड निवासी अनिल कुमार मंडल पुत्र हलधर(26) की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी। साइबर पुलिस आरोपी अनिल की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही थी। आरोपी को पकड़ने के लिए स्थानिय पुलिस की भी मदद ली जा रही थी। इसी बीच झारखंड पुलिस ने आरोपी अनिल को धोखाधड़ी और आईटी एक्ट के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया। इस सूचना के बाद बीती 15 अप्रैल को आरोपी अनिल को न्यायालय से प्रोडक्शन वारंट पर लेकर गिरफ्तार कर भोपाल लाया गया।
बिहार और झारखंड से चल रहा गिरोह
आरोपी अनिल कुमार मंडल गिरोह का सरगना है। उसने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह बिहार व झारखंड के कई चुनिंदा इलाकों से  गिरोह का संचालित कर रहा था। वह अपने गिरोह के सदस्यों की मदद से देशभर में लोगों को रेण्डम्ली मोबाइल पर कॉल कर खुद को बैंक अधिकारी बताकर या आधार कार्ड वेरीफिकेशन विभाग का अधिकारी बताते थे और उनके खातों की महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर लेते थे। वह एटीएम कार्ड का नंबर, सीवीवी नंबर, मोबाइल पर अपने वाला ओटीपी नंबर पूछकर आॅनलाइन पैसा ट्रांसफर कर लेते थे। इसके बाद पेटीएम या फोन-पे से आॅन लाइन शॉपिंग करते थे।
सालों से कर रहा ठगी
आरोपी ने साइबर पुलिस को बताया कि वह वर्ष 2015 में ऐसे एक गिरोह का सदस्य रहा है, जो मोबाइल पर कॉल कर लोगों से उनके खातों की जानकारी हासिल कर दूसरे खातों में पैसा ट्रांसफर करता था। इसके बाद से उसने भी ज्यादा पैसा करने का मन बना लिया और खुद को गिरोह बना लिया।
बेरोजगारों को देता था ट्रेनिंग
आरोपी अनिल ने खुद का गिरोह बनाने के लिए अपने रिश्तेदार, दोस्तों व बेरोजगार युवक व युवतियों को चुना। उसने सभी सदस्यों को   झारखंड के देवघर जिले में एक किराए का मकान लेकर आॅन लाइन ठगी की ट्रेनिंग दी। ट्रेनिंग के दौरान वह गिरोह के सदस्यों को सिखाता था कि कैसे बैंक अधिकारी बनकर मोबाइल पर बात करते हुए लोगों के खाते की जानकारी लेकर खातों से पैसा कैसे ट्रांसफर किया जाता है।
ठगी के लिए दूसरे राज्यों से खरीदता था सिम
टीआई भदौरिया ने बताया कि गिरोह ठगी की वारदात में इस्तेमाल होने वाले सभी नंबरों की सिम व मोबाइल दूसरे राज्यों से खरीदते थे।   इसके साथ ही वे पुलिस की नजरों से बचने के लिए दूरदराज के इलाकों व जंगली इलाकों में अपना ठिकाना बनाते थे। आरोपी अपने गिरोह की मदद से अब तक करोड़ों की ठगी कर चुका है। आॅन लाइन ठगी के पैसों से आरोपी ने मंहगे इलेक्ट्रानिक गेजेट्स खरीद कर मार्केट से सस्ते दामों में बेच देते थे। वहीं अन्य रकम आपस में बांट लेते थे। भोपाल साइबर थाना पुलिस ने आरोपी अनिल को पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया। जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
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