EOW Raid: स्मार्ट सिटी ने दस्तावेज नहीं सौंपे तो मारा छापा

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आर्थिक प्रकोष्ठ विंग में एक महीने पहले हुई थी शिकायत, बीएसएनएल कंपनी को ठेका न दिलाकर लाभ पहुंचाने का लगा है आरोप

EOW Raid
गोविंदपुरा स्थित भोपाल स्मार्ट सिटी का कार्यालय जहां ईओडब्ल्यू ने छापा मारा

भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में वित्तीय गड़बड़ियों (Financial Negligence) की निगरानी के लिए गठित आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (Economic Offense Wing) ने शुक्रवार सुबह भोपाल स्मार्ट सिटी (Bhopal Smart City) के कार्यालय में छापा (Raid) मारा। यह छापा उन दस्तावेजों (Document) की जब्ती के लिए मारा गया जिसको ईओडब्ल्यू (EOW) एक महीने से मांग रहा था। इस वित्तीय अनियमितता के मामले में प्रदेश के एक आईएएस अफसर (IAS Officer) फंसे हैं। आरोप है कि बेटा जहां नौकरी करता है उसकी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए अनियमितता की गई थी।

जानकारी के अनुसार इस मामले में दस्तावेज सौंपने के लिए ईओडब्ल्यू ने कई बार स्मार्ट सिटी कार्यालय से पत्राचार किया था। लेकिन, कोई प्रतिकूल जवाब नहीं मिलने पर ईओडब्ल्यू ने विधिक राय (Legal Advice) लेने के बाद शुक्रवार को कार्रवाई की। छापे के दौरान ईओडब्ल्यू (EOW) की टीम उस सेल में पहुंची जहां घोटाले (Smat City Scam) से संबंधित दस्तावेज रखे हुए थे। उन्हें बकायदा जांच के लिए जब्त किया गया। छापे की सूचना मिलने के बाद दफ्तर में हड़कंप मचा हुआ था। इस मामले में ईओडब्ल्यू और स्मार्ट सिटी दोनों कार्यालय से आधिकारिक बयान जारी नहीं किए गए हैं।

क्या है मामला
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की बहुप्रतीक्षित योजना स्मार्ट सिटी भी घोटाले (Smart City Scam) की चपेट में एक महीने पहले आ गई थी। मामला मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के नगरीय प्रशासन (Urban Administration) से जुड़ा है। जिसके बाद ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। आरोप आईएएस अधिकारी विवेक अग्रवाल पर लगे हैं। शिकायत में कहा गया हैं कि उन्होंने अपने बेटे विवेक अग्रवाल को स्मार्ट सिटी का ठेका दिलाया। विवेक अग्रवाल उस वक्त नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव (Madhya Pradesh Principal Secretary) हुआ करते थे। यह ठेका स्मार्ट सिटी में ब्राड बैंड को लेकर था। इसके लिए बीएसएनएल (BSNL) ने भी टेंडर में भाग लिया था। यह टेंडर 300 करोड़ रुपए में जारी किया गया। जबकि भाग लेने वाली बीएसएनएल कंपनी ने 250 करोड़ रुपए की रकम भरी थी। 50 करोड़ रुपए अधिक होने के बावजूद बीएसएनएल को ठेका नहीं मिला।

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ऐसे खुली थी परतें
जानकारी के अनुसार टेंडर स्मार्ट सिटी के लिए डाटा सेंटर (Data Center) और डिजास्टर रिकवरी सेंटर (Disaster Recovery Center) बनाने के लिए किया गया था। इससे पहले पीडब्ल्यूसी और एचपीई कंपनी में करार हुआ था। यह करार कोलकाता (Kolkata) में आयोजित एक बैठक में हुआ था। विवेक अग्रवाल का बेटा वैभव पीडब्ल्यूसी कंपनी में ही सीनियर अधिकारी हैं। शिकायत में कहा गया है कि एचपीई कंपनी को स्मार्ट सिटी का कोई अनुभव नहीं हैं। इसके बावजूद कंपनी को काम करने का ठेका दे दिया गया। इसमें किसी भी एजेंसी ने आपत्ति भी नहीं उठाई।

क्या है स्मार्ट सिटी
भारत सरकार (Government Of India ) की यह बहुत बड़ी योजना है। इसके लिए बकायदा स्मार्ट सिटी मिशन नाम (Smart City Mission) से एक विभाग केन्द्र सरकार ने बनाया है। इसमें सारे राज्यों के नगरीय प्रशासन और नगर निगम को जोड़ा गया है। केन्द्र सरकार ने पूरे भारत वर्ष में 100 शहरों का इसके लिए चुनाव किया गया है। इसमें मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सतना, बुरहानपुर और सागर जिले को चुना गया है। इन जिलों में नागरिकों को बेहतर सुविधाओं के साथ आधुनिक तकनीक से जोड़ने की योजना है।

शिकायत पर बवाल
यह शिकायत एक महीने पहले हुई थी। जिसमें डीजी ईओडब्ल्यू (DG EOW) सुशोभन बनर्जी (Sushobhan Benrji) ने मीडिया को बयान दिया था। मीडिया में बयान आने के बाद आईएएस एसोसिएशन (IAS Association) बनर्जी से नाराज हो गया था। डीजी के खिलाफ एसोसिएशन ने पत्राचार करके मीडिया में अपनी तरफ से प्रतिक्रिया दी थी। ठेके पर नियमानुसार कार्रवाई करने और आईएएस विवेक अग्रवाल के पक्ष में आईएएस एसोसिएशन खड़ा हो गया था। लेकिन, ताजा घटनाक्रम ने यह बता दिया है कि मामला इतनी आसानी से सुलझने वाला नहीं हैं। ईओडब्ल्यू इस मामले में परतें खंगालने के बाद निष्कर्ष के साथ अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करेगा।

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