Ishwar chandra Vidhyasagar : चुनाव में महान समाज सुधारक की एंट्री, मूर्ति तोड़े जाने से शुरू हुआ विवाद

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जानिए कौन थे ईश्वर चंद्र विद्यासागर

ईश्वर चंद्र विद्यासागर की तोड़ी गई प्रतिमा

कोलकाता। लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के नाम पर उबल रही सियासत में एक कड़ी और जुड़ गई है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान हुई हिंसा ने राजनीतिक उबाल ला दिया है। हिंसा की शुरुआत कैसे हुई, किसने उपद्रव किया, ये सब जांच के विषय हैं। लेकिन इस बवाल के बीच महान समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर (Ishwar chandra Vidhyasagar) की प्रतिमा को तोड़ दिया गया। उनके नाम पर संचालित कॉलेज में हमला हुआ और तोड़फोड़ की गई।

जिसके बाद अब बंगाल की राजनीति में विद्यासागर जी (Ishwar chandra Vidhyasagar) की एंट्री हो गई है। तृणमूल कांग्रेस ने इस कृत्य के लिए भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को दोषी बताया है तो भाजपा ने आरोपों को खारिज किया है। विरोध जताते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा वाले जानते भी हैं कि विद्यासागर (Ishwar chandra Vidhyasagar) कौन थे। उन्होंने अपनी डीपी में विद्यासागर जी की तस्वीर लगा ली है। जिसके बाद तृणमूल के सारे नेता भी इसी राह पर चल पड़े है।

मंगलवार को कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली थी। उनका रोड शो मध्य कोलकाता के शहीद मीनार से शुरू होकर धर्मतल्ला क्रॉसिंग, लेनिन सरणी और सुबोध मलिक चौराहे तक निकाला गया। इस दौरान विद्यासागर कॉलेज के सामने रोड शो के दौरान हिंसा भड़क गई।

भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अमित शाह के उस ट्रक पर डंडों से हमला किया जिस पर सवार होकर वो रोड शो कर रहे थे। जिसके बाद दोनों ही दलों के कार्यकर्ता भिड़ गए। इस दौरान तीन मोटरसाइकिलों को आग के हवाले कर दिया गया।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विद्यासागर जी की मूर्ति को निशाना बनाने के बाद उपद्रवियों ने कॉलेज कैंपस से ही बाइक बाहर निकाली और आग लगा दी थी।

हिंसा के बाद अब नेताओं के अलग अलग बयान सामने आ रहे है। अमित शाह का कहना है कि सीआरपीएफ नहीं होती तो उनका बच पाना मुश्किल था। बीजेपी नेताओं का कहना है कि हिंसा की स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी थी। जिसके तहत ही अमित शाह और पीएम मोदी के पोस्टर फाड़े गए थे।

वहीं तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी ने दूसरे प्रदेशों से गुंड़े लाकर पश्चिम बंगाल को जंग का मैदान बना दिया है। कोलकाता में भी बाहरी गुंड़ों ने उत्पात मचाया। टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने सबूत पेश करते हुए कहा कि दिल्ली भाजपा का नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा मौके पर क्या कर रहा था।

जानिए कौन थे ईश्वर चंद्र विद्यासागर

ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर 1820 में बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम ईश्वर चंद्र बन्दोपाध्याय था। वे बंगाल के पुनर्जागण के संतंभों में से एक थे। पश्चिम बंगाल में उनका जन्म हुआ था और करमाटांड़ उनकी कर्मभूमि थी। वे उच्चकोटी के विद्वान थे। उनकी विद्वता के कारण ही उन्हें विद्यासागर की उपाधि दी गई।

वे नारी शिक्षा के समर्थक थे। उनके प्रयास से ही कोलकाता समेत कई जगहों पर बालिका विद्यालयों की स्थापना हुई। उस समय हिंदू समाज में विधवाओं की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह के लिए जनमत तैयार किया। उन्हीं के प्रयासों से 1856 में विधवा-पुनर्विवाह कानून पारित हुआ। उन्होंने अपने इकलौते पुत्र का विवाह भी एक विधवा से ही किया था। उन्होंने बाल विवाह का भी विरोध किया।

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विद्यासागर एक दार्शनिक, शिक्षाशास्त्री, लेखक, अनुवादक, मुद्रक, प्रकाशक, उद्यमी, सुधारक एवं मानवतावादी व्यक्ति थे। उन्होने बांग्ला भाषा के गद्य को सरल एवं आधुनिक बनाने का उनका कार्य सदा याद किया जायेगा। उन्होने बांग्ला लिपि के वर्णमाला को भी सरल एवं तर्कसम्मत बनाया। बँगला पढ़ाने के लिए उन्होंने सैकड़ों विद्यलय स्थापित किए तथा रात्रि पाठशालाओं की भी व्यवस्था की। उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयास किया। उन्होंने संस्कृत कॉलेज में पाश्चात्य चिंतन का अध्ययन भी आरंभ किया

 

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