तस्करी: कोलकाता के बाद बनगांव से विदेश भेजे जा रहे कछुए, आठ गिरोह सक्रिय

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कछुआ तस्करी में पश्चिम-बंगाल बना हब, 2 साल में 30 लोग हो चुके गिरफ्तार

पश्चिम बंगाल। देश में कछुआ तस्करी का व्यापार बढ़ता जा रहा है। पश्चिम बंगाल इस मामलें में पहले स्थान पर है। या यूं कह लें कि बंगाल कछुआ तस्करी का सेंटर बनकर देश मे उभरा है। इस बात का खुलासा वाइल्ड लाइफ जस्टिस कमीशन की ओर से चलाए जा रहे आपरेशन ड्रेगन में हुई। बता दें की विदेशों में भारतीय कछुए की काफी डिमांड है।

जानकारी के मुताबिक कछुआ तस्करी बंगाल कॉरिडोर होते हुए बंग्लादेश के ढाका में की जाती है। फिर यहां से इसे अन्य देशों में सप्लाई कर दिया जाता है। बताया जा रहा है कि इस तस्करी में बंगाल के आठ गिरोह सक्रिय है।आपरेशन ड्रेगन रिपोर्ट की माने तो देश मे सबसे अधिक कछुओं की तस्करी बंगाल सीमा में हो रही है। वर्ष 2016 से 2018 के बीच चले इस आपरेशन में 30 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है।इसके साथ ही नेटवर्क की जानकारी भी मिली है।

कैसे हुआ खुलासा
ऑपरेशन ड्रैगन के अधिकारियों ने सबसे पहले देश और विदेश के मछुआरों से संपर्क साध। टैब अफसरों को मालूम चला कि विदेशों में मीठे पानी के कछुए की मांग अधिक है। वहीं बंगाल और उत्तरप्रदेश की नदियों में 11 प्रकार के कछुआ पाए जाते हैं।

क्या है ऑपरेशन ड्रेगन
कछुआ तस्करी को मद्देनजर रखते हुए वाइल्ड लाइफ जस्टिस कमीशन ने वर्ष 2016 में गोपनीय तरीके से ऑपरेशन ड्रैगन की शुरुआत की। दो साल की मेहनत के बाद अधिकारी कछुओं की तस्करी के नेटवर्क का पता लगा सके। हाल ही में अधिकारियों ने एक रिपोर्ट पेश की। जिसमें बांग्लादेश व बंगाल के कोलकाता से करोड़ों डालर के व्यवसाय का खुलासा किया।

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ऐसे दिया जाता तस्करी को अंजाम                      

देश के विभिन्न राज्यों से कछुओं को अवैध तरीके से पकड़ा जाता है। उसके बाद इन्हें कोलकाता में जमा किया जाता है। फिर जैसोर रोड होते हुए परगना जिले के बनगांव पहुंचाया जाता है। इसके बाद जल मार्ग से बांग्लादेश के ढाका पहुंचाया जाता है। इसके बाद हवाई मार्ग से विभिन्न स्थानों पर भेजा जाता है। एशियाई देशों में भी इसकी तस्करी की जाती है।

मीठे पानी के कछुए की डिमांड
कछुआ तस्करी में पश्चिम बंगाल के 8 गिरोह के सक्रिय हैं। इसमें से कई गिरोह मीठे पानी में रहने वाले कछुओ का व्यापार करते है।क्योंकि, चीन व हांगकांग में सबसे अधिक मीठे पानी में रहने वाले कछुआ की डिमांड है।

यहां से मिल रहा तस्करी को बढ़ावा
भारत, बांग्लादेश के साथ ही मलेशिया, पाकिस्तान और थाईलैंड तक कछुआ तस्करी का नेटवर्क बना हुआ है। दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया में हवाई व सड़क मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है।

जीआरपी, पुलिस को दिए निर्देश
आपरेशन ड्रेगन के तहत 30 तस्करों की गिरफ्तारी हुई है। साथ ही 6000 कछुए बरामद किए गए है। उत्तर बंगाल के एडीजी आनंद कुमार का कहना है कि उत्तर बंगाल अंतरराष्ट्रीय सीमा से घिरा हुआ है। यहां वन्यजीवों और जलचरों की तस्करी रोकने के लिए सभी जीआरपी और पुलिस थानों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। लगातार कार्रवाई भी हो रही है। इस प्रकार के तस्करों का नेटवर्क देश से विदेश तक जुड़ा होता है।

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