Vyapam Return’s: GMC के तीन MBBS छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज

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सिपाही बनने के​ लिए अफसरों को ही दे दिया गच्चा, ग्वालियर रेंज में तैनात हैं सिपाही

Vyapam Return's
भोपाल स्थित एसटीएफ मुख्यालय

भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh Crime) का बहुचर्चित व्यापमं घोटाला (Vyapam Scam) सुर्खियों में अभी भी बना हुआ है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Former CM Shivraj Singh Chouhan) के कार्यकाल में छूटे मुन्ना भाईयों (Munna Bhai) के खिलाफ अब मुख्यमंत्री कमलनाथ (CM MP Kamalnath) की सरकार का चाबुक चल पड़ा है। इस मुहिम को एंटी माफिया (MP Anti Mafia) से जोड़कर व्यापमं रिटर्न्स (Vyapam Return’s) नाम से पुकारा जा रहा है। ताजा घटनाक्रम में घोटालों (Vyapam Ghotala) की जांच कर रही मध्यप्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (Madhya Pradesh Special Task Force) ने चार नए मुकदमे दर्ज किए हैं। इनमें तीन आरोपी भोपाल गांधी मेडिकल कॉलेज (Bhopal Gandhi Medical College) से पास आउट एमबीबीएस डॉक्टर है। इन्होंने फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र (Fake Citizenship Certificate) लगाकर एमबीबीएस की सीट हासिल की थी। जबकि चौथे मामले का आरोपी ग्वालियर (Gwalior) रेंज में तैनात सिपाही है।

यह जानकारी देते हुए एसटीएफ एडीजी अशोक अवस्थी (ADG Ashok Avasthi) ने पत्रकारों को बताया कि सरकार (MP Government) की तरफ से 197 प्रकरण चिन्हित करके उनकी नए सिरे से जांच की जा रही है। इस जांच में अब तक 6 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र (Madhya Pradesh Fake Citizenship Certificate) लगाकर एमबीबीएस सीट (MBBS Seat) हासिल करने के मामले हैं। इसी तरह एसटीएफ (MP STF) ने चार नए मुकदमे दर्ज किए हैं। इसमें आरोपी सौरभ सचान (Dr Saurabh Sachan), बैनजीर शाह फारुखी (Dr Bainajeer Shah Faruki) और विपिन कुमार सिंह (Dr Vipin Kumar Singh) हैं। आरोपी सौरभ और बैनजीर ने 2009 में पीएमटी परीक्षा (PMT Examination Scam) पास की थी। वहीं विपिन कुमार सिंह ने 2010 में पीएमटी परीक्षा पास की थी। इन तीनों ने गांधी मेडिकल कॉलेज (Bhopal GMC) से एमबीबीएस किया है। इन तीनों आरोपियों ने डिग्री हासिल करने के लिए फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र (Bhopal GMC Scam) लगाया था। जिसकी जांच रिपोर्ट मिलने के बाद एफआईआर दर्ज की गई है। यह आरोपी फिलहाल कहां पदस्थ है यह अभी पता नहीं चला है। एडीजी ने बताया कि इस मामले में लोक स्वास्थ्य संचालनालय (Madhya Pradesh Director Medical Education) के अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध है। जिसका पता लगाने के लिए एसटीएफ (Bhopal STF) की जांच अभी जारी है।
इसी तरह चौथा मामला पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 (MP Police Constable Recruitment Fraud) का मामला है। इस मामले में आरोपी बिजेन्द्र रावत (Constable Bijendra Ravat) है। आरोपी की ओएमआर शीट और मैदानी परीक्षण में हस्ताक्षर अलग—अलग पाए गए हैं। इससे साफ है कि बिजेन्द्र परीक्षा में बैठा नहीं था। एडीजी ने एक सवाल में जवाब में कहा कि यह पूर्व के प्रकरण में कैसे बच गया इसकी भी जांच की जा रही है। बिजेन्द्र इस वक्त ग्वालियर रेंज (Gwalior Range) में तैनात हैं और मुरैना (Morena) इलाके का रहने वाला है।

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एसडीएम के सर्टिफिकेट पर तहसीलदार के साइन

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अशोक अवस्थी, एडीजी, एमपी एसटीएफ

एसटीएफ एडीजी अशोक अवस्थी ने बताया कि पूर्व में दर्ज दो प्रकरण में आरोपी देवाशीष विश्वास (Dr Devashish Vishwash) और हितेश अलावा (Dr Hitesh Alava) की तरफ से भोपाल जिला अदालत (Bhopal District Court) में अग्रिम जमानत अर्जी लगाई गई थी। अदालत ने सुनवाई के बाद दोनों की अर्जी खारिज कर दी है। दोनों आरोपियों ने फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र लगाकर मध्यप्रदेश कोटे से एमबीबीएस (MP Kota MBBS Seat) की सीट हासिल की थी। इसी तरह जांच में पता चला है कि डॉक्टर सीताराम शर्मा (Dr Sitaram Sharma) ने एसडीएम कार्यालय का सर्टिफिकेट पेश किया था। लेकिन, उसमें हस्ताक्षर और मुहर तहसीलदार के लगाए गए थे। जांच में यह भी पता चला है कि अधिकांश सील और मुहर रीवा जिले में बने थे। इसमें किसी एक बड़े गिरोह के शामिल होने की संभावना है।

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