Madhya Pradesh : शिक्षण शुल्क ही वसूल सकेंगे स्कूल, नहीं होंगे 10 वीं के शेष पेपर

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अभिभावकों को 40 फीसदी फीस से ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद

सांकेतिक चित्र

भोपाल। School Fees Order मध्यप्रदेश के अभिभावकों के लिए अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने स्कूल फीस को लेकर जरूरी फैसला लिया है। जिसके मुताबिक अब अभिभावकों को शिक्षण शुल्क (Tuition Fees) ही देना होगा। निजी स्कूल संचालक (Private School) अन्य तरह के शुल्क नहीं वसूल सकेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग ने शनिवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय स्कूल यानि निजी स्कूल द्वारा लॉकडाउन की अवधि में केवल शिक्षण शुल्क ही लिया जा सकेगा। अन्य किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 10 वीं की शेष परीक्षाओं को लेकर बड़ा ऐलान किया है। अब 10 वीं के शेष पेपर नहीं लिए जाएंगे।

सीएम शिवराज का ट्वीट-

”मेरे बच्चों, तुम मध्यप्रदेश और भारत का भविष्य तथा मेरे जिगर के टुकड़े हो। तुम्हारे वर्तमान और भविष्य की चिंता मुझे सदैव रहती है। #COVID19 के कारण तुम्हारी परीक्षाओं का शेड्यूल अव्यवस्थित हुआ है, उसको देखते हुए मैंने कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिये हैं। इससे तुम्हें राहत मिलेगी।”
”माध्यमिक शिक्षा मंडल के 10वीं के मेरे बच्चों की जो परीक्षाएं शेष रह गई थीं, अब वे नहीं होंगी। जिन विषयों के पेपर हो गये हैं, उनके अंक के आधार पर ही रिजल्ट तैयार होगा। मेरे 12वीं के बच्चों के शेष रह गये विषयों की परीक्षाएं 8 से 16 जून के बीच होंगी।”

इस वजह से माफ नहीं होगी पूरी फीस

लॉकडाउन में सभी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधिया बंद है, लिहाजा स्कूलों की फीस भी माफ किए जाने की मांग उठ रही थी। प्रदेश के दो जिलों में तो इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए थे। लेकिन आदेश वापस लेने पड़े। अब सरकार ने निजी स्कूलों को शिक्षण शुल्क लेने की अनुमति दी है। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि स्कूलों को शिक्षकों एवं कर्मचारियों का वेतन भी देना होता है। जानकारों का कहना है कि सरकार स्कूलों पर शिक्षण शुल्क माफ करने का दवाब भी बना सकती थी। लेकिन स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस शुरु कर सरकार ऐसा कदम उठाने से रोक दिया।

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40 फीसदी से ज्यादा राहत की उम्मीद

फीस चार्ट

निजी स्कूलों में शिक्षण शुल्क के अलावा ली जाने वाली अन्य फीस करीब 40 फीसदी तक होगी है। कई स्कूलों में तो पढ़ाने की बजाए अन्य खर्चे ही ज्यादा होते है। उदाहरण के लिए हम एक स्कूल का फीस स्ट्रक्चर आपके सामने रख रहे है।

बाल आयोग ने लिया था संज्ञान

राजधानी भोपाल के ही नामी निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों को लगातार मैसेज भेजे जा रहे थे। दो स्कूलों ने तो अभिभावकों पर बस और मैस का शुल्क जमा कराने का भी अल्टीमेटम दे दिया था। साथ ही दया दिखाते हुए बस और मैस के शुल्क में 20 फीसदी की कटौती की बात कही थी। मामला जब बाल अधिकार संरक्षण आयोग पहुंचा तो स्कूलों को लताड़ लगाई गई। आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने स्कूलों को पत्र लिखा था।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का ट्वीट

”प्रदेश के निजी विद्यालयों से भी संकट की इस घड़ी में सहयोग अपेक्षित है। कोई भी निजी स्कूल 19 मार्च 2020 से #Lockdown समाप्त होने की अवधि तक केवल ट्यूशन फीस ले सकेंगे। इसके अतिरिक्त किसी तरह की फीस लेने की अनुमति नहीं है।”

किश्तों में फीस भर सकेंगे अभिभावक

शनिवार को जारी हुए आदेश में 24 अप्रैल को जारी हुए आदेश का जिक्र किया गया है। बता दें कि 24 अप्रैल को जारी हुए आदेश में अभिभावकों को विशेष राहतें दी गई थी, जो जारी रहेंगी।

1- शैक्षणिक सत्र 2019-20 की फीस भी यदि कोई अभिभावक नहीं भर सके है तो वे उसे 30 जून 2020 तक भर सकेंगे।

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2- शैक्षणिक सत्र 2020-2021 में आगामी आदेश तक कोई भी निजी स्कूल फीस वृद्धि नहीं कर सकेंगे। साथ ही अभिभावकों को एकमुश्त फीस जमा करने के लिए वाध्य नहीं किया जा सकेगा।

3- स्कूल फीस की वसूली मासिक या चार किश्तों में की जा सकेगी। साथ ही फीस न भर पाने की वजह से किसी बच्चे का स्कूल से नाम नहीं काटा जाएगा।

4- यदि कोई अभिभावक फीस जमा करने में असमर्थता जताते है तो उनके अनुरोध पर स्कूल प्रबंधन को सकारात्मक विचार करना होगा। आगामी माहों में फीस को समायोजित करना होगा।

5- स्कूल के शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक स्टाफ को नियमित तौर पर वेतन भुगतान करना होगा।

6- अभिभावकों को पुस्तकों की खरीदी के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा।

अपील

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