MP Political Drama : ऐन वक्त पर कमल नाथ सरकार का संकट बढ़ा सकती है बसपा

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कांग्रेस और कमल नाथ सरकार के फैसलों से नाराज है मायावती !

सीएम कमल नाथ और बसपा सुप्रीमो मायावती, फाइल फोटो

भोपाल। MP Political Drama मध्यप्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच कांग्रेस सरकार का संकट दूर होते नजर नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री कमल नाथ कितने भी कॉन्फीडेंट नजर आ रहे हो, लेकिन नंबर गेम में कांग्रेस पिछड़ती दिख रही है। बेंगलुरु ले जाए गए सिंधिया समर्थक विधायक अब तक लौटे नहीं है। दूसरी तरफ राज्यपाल लालजी टंडन ने सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है। राज्यपाल चाहते है कि मंगलवार को ही फ्लोर टेस्ट हो। ऐसे हालातों में सभी राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुटे है। भाजपा अपने विधायकों को दोबारा दिल्ली ले जाने की तैयारी में है। तो वहीं मुख्यमंत्री निवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठकें हो रही है। लेकिन भाजपा-कांग्रेस के इतर भी एक ऐसी रणनीति बनाई जा रही है, जो ऐनवक्त पर कमल नाथ सरकार को संकट में ला सकती है।

बसपा ने जारी नहीं किया व्हिप

समाजवादी पार्टी द्वारा जारी किया गया व्हिप

संकट के इस वक्त में कमल नाथ सरकार को समर्थन दे रही बहुजन समाज पार्टी का रुख साफ नजर नहीं आ रहा है। प्रदेश में बसपा के दो विधायक है, लेकिन पार्टी हाईकमान की तरफ विधायकों को लेकर कोई व्हिप जारी नहीं किया गया है। जबकि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने व्हिप जारी कर अपने इकलौते विधायक राजेश शुक्ला को निर्देशित किया है। व्हिप जारी कर राजेश शुक्ला को कमल नाथ सरकार को समर्थन देने की बात कही गई है। ऐसे में बसपा की चुप्पी पर सवाल खड़े हो रहे है।

घातक साबित हो सकती है बसपा की रणनीति !

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द क्राइम इन्फो डॉट कॉम से बात करते हुए बसपा के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर रमाकांत पिप्पल ने कहा कि दोनों ही विधायकों को निर्देश देने की जरूरत ही नहीं है। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि संकट के वक्त में क्या बसपा वाकई में कमल नाथ सरकार का साथ देगी ? तो उन्होंने इसे रणनीति का हिस्सा बताते हुए सवाल को टाल दिया। यानि साफ है कि बसपा के अंदर कुछ तो ऐसा पक रहा है जो मौजूदा सरकार के लिए घातक साबित हो सकता है। दूसरी तरफ हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाले बसपा के विधायक संजीव कुशवाह और बसपा से निलंबित विधायक रामबाई भी कैमरे पर नजर नहीं आ रहे है।

क्या नाराज है मायावती ?

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विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक हाल ही में कमल नाथ सरकार और कांग्रेस के निर्णयों से बसपा सुप्रीमो नाराज है। बसपा सुप्रीमो मायावती और कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी फूल सिंह बरैया के बीच पुरानी राजनीतिक अदावत है। किसी जमाने में फूल सिंह बरैया मध्यप्रदेश में बसपा की जान हुआ करते थे। लेकिन वर्तमान में कांग्रेस के साथ है। कांग्रेस ने भी फूल सिंह बरैया के सहारे एक तीर से कई निशाने साधने की तैयारी में है, लेकिन ये उसकी भूल न बन जाए। बरैया के सहारे कांग्रेस ग्वालियर-चंबल के इलाके में बसपा के वोट बैंक को हथियाने की तैयारी कर रही है, साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने से हुई क्षतिपूर्ति के लिए भी बरैया को आगे बढ़ाया जा रहा है। दूसरी तरफ सूत्रों का कहना है कि बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार को अनुसूचित जनजाति आयोग का सदस्य बनाना भी बसपा पार्टी हाईकमान को रास नहीं आ रहा है। सूत्रों का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में अहिरवार की वजह से पार्टी का वोट प्रतिशत कम हुआ था। लिहाजा उन्हें बसपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।

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जानिए कौन है बरैया

फूल सिंह बरैया, फाइल फोटो

2003 से पहले फूल सिंह बरैया बहुजन समाज पार्टी मध्यप्रदेश के अध्यक्ष हुआ करते थे। तब बसपा का बड़ा जनाधार था। बरैया की अध्यक्षता में भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में ऐतिहासिक रैली हुई थी। जिसके बाद बरैया और प्रदेश में बसपा के भविष्य पर ऐसी नजर लगी कि पार्टी सिमटती ही गई। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक बरैया सभी 230 सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी उतारने की तैयारी में थे। लेकिन ऐनवक्त पर राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के नेता ने ऐसी चाल चली कि बरैया ही आउट हो गए।

चुनाव से दो महीने पहले मायावती ने बरैया को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया। जिसके बाद बरैया ने समता समाज पार्टी बनाई और चुनाव लड़ा। तब वे केवल एक ही विधायक जिता पाने में कामयाब रहे। लेकिन उनकी कमी की वजह से बसपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। जिसके बाद बरैया ने अपनी पार्टी का विलय रामविलास पासवान की पार्टी में कर दिया। वहां से भी बरैया का मोहभंग हो गया तो 2011 में बहुजन संघर्ष दल बना लिया। जिसके बाद 2018 में बरैया ही कांग्रेस में शामिल हो गए।

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