भोपालः भाजपा पार्षद का निर्वाचन शून्य, फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए लड़ा था चुनाव

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वार्ड 54 से पार्षद घोषित की गई कांग्रेस की ज्योति मंडलिक

भाजपा नेत्री सीमा यादव, फाइल फोटो

भोपाल। संभागायुक्त ने भाजपा नेत्री सीमा यादव की पार्षदी निरस्त कर दी है। वे 2015 में वार्ड नंबर 54 से पार्षद चुनी गई थी। वार्ड 54 की सीट पिछडा वर्ग (महिला) के लिए आरक्षित थी। चुनाव जीतने के बाद से ही सीमा यादव के जाति प्रमाण पत्र पर सवाल खड़े होने लगे थे। उनके खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी रहीं ज्योति मंडलिक ने शिकायत दर्ज कराई थी। ज्योति का आरोप था कि सीमा ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाया है। उन्होंने बताया कि सीमा उत्तर प्रदेश की रहने वाली है। नामांकन के दौरान उन्होंने यूपी का जाति प्रमाण पत्र दाखिल किया था। जिसके कारण उनका नामांकन निरस्त हो गया था। जिसके तुरंत बाद ही मध्यप्रदेश का फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाया गया और उसी के आधार पर सीमा ने चुनाव लड़ा। ज्योति की शिकायत पर उच्च स्तरीय छानबीन कमेटी ने मई 2017 में सीमा यादव के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया था।

                                                                  ज्योति को काटनी पड़ी जेल

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निर्वाचन शून्य होने के बाद पार्षद बनने का मिला मौका

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के इस मामला तब और भी दिलचस्प हो गया जब फरियादी ज्योति मंडलिक के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर ली गई। मार्च 2018 में सीमा यादव ने ज्योति के खिलाफ ही फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करा दी। उसके खिलाफ धारा 420,467,468 के तहत मामला दर्ज किया गया। गिरफ्तारी से बचने के लिए ज्योति करीब 9 महीने तक फरार रही। दिसंबर 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही ज्योति को लगा कि अब उसे जेल नहीं जाना पड़ेगा। लिहाजा वो कोर्ट में हो गई। लेकिन उसे जेल भेज दिया गया। करीब एक महीने तक ज्योति जेल में रही उसके बाद वो जमानत पर रिहा हुई है।

ज्योति मंडलिक बनी पार्षद

संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने आदेश जारी किया है कि सीमा यादव ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र पेश किया। जिस पर तहसीलदार के हस्ताक्षर और गलत  सील से जारी किया गया। अतः सीमा यादव का निर्वाचन शून्य घोषित किया जाता है और नगर पालिक निगम की धारा 19 (2) के अंतर्गत आदेश पारित कर आवेदिका ज्योति मंडलिक को पार्षद घोषित किया जाए। ज्योति की इस लड़ाई में कांग्रेस कार्यकर्ता डॉ. मनोज चौहान ने उनकी बहुत मदद की।

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